नई दिल्ली: दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले 7 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 22 जुलाई को संसद भवन के घेराव करने का फैसला किया है. किसानों के इस निर्णय के बाद दिल्ली पुलिस ने भी अपनी तैयारियां पुख्ता कर ली है. एक तरफ जहां दिल्ली पुलिस अपने जवानों को खास ट्रेनिंग दे रही है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लगातार किसान नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हें प्रदर्शन करने के लिए वैकल्पिक स्थानों की जानकारी दे रहे हैं. दो दौर की वार्ता विफल रहने के बाद दिल्ली पुलिस अब किसानों को कोई रियायत देने के मूड में नहीं दिख रही है.
बता दें कि किसानों के साथ वार्ता के लिए दिल्ली पुलिस ने डीसीपी संजीव त्यागी को नियुक्त किया था, लेकिन दो बार की मैराथन बैठक के बाद अब भी किसान संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने के अपने निर्णय पर अडिग हैं. वहीं, दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसान दिल्ली के किसी अन्य इलाके में प्रदर्शन करें. इसके साथ ही किसानों की संख्या पर भी लगातार गतिरोध बना हुआ है. किसान 200 की संख्या में संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करना चाहते हैं, वहीं दिल्ली पुलिस चाहती है कि केवल 5 किसान संसद भवन के अलावा किसी अन्य जगह पर प्रदर्शन करें.
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साथ ही दिल्ली पुलिस ने किसानों की आड़ में छिपे बैठे असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए खास रणनीति बनाई है. इसके तहत दिल्ली पुलिस के जवानों को यमुना खादर इलाके में खास ट्रेनिंग दी जा रही है और उन्हें खास आर्मर भी उपलब्ध कराए गए हैं. ट्रेनिंग के तहत पुलिसकर्मियों को यह बताया जा रहा है कि झड़प की स्थिति में उन्हें असामाजिक तत्वों से कैसे निपटना है. ट्रेनिंग के दौरान पुलिस की 2 टीमें बनाकर उन्हें आपस में लड़ाया जा रहा है.
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किसानों के संसद भवन के घेराव के संबंध में पुलिस मामलों के जानकार और रिटायर्ड एसीपी वेद भूषण ने बताया कि दिल्ली पुलिस इस बार किसानों को रियायत देने के मूड में नहीं है. दिल्ली पुलिस ने किसानों पर भरोसा करके 26 जनवरी को उन्हें दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत दी थी, लेकिन उसके बाद दिल्ली में क्या कुछ हुआ, यह हम सभी ने देखा था. दिल्ली पुलिस के अधिकारी किसानों से अभी भी बातचीत कर रही है, लेकिन अगर बातचीत के जरिए हल नहीं निकलता है तो दिल्ली पुलिस किसी भी हाल में किसानों को दिल्ली के बॉर्डर को पार करने की अनुमति नहीं देगी.