नई दिल्ली: नए साल की पहली सुबह पर दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. शनिवार को दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर 400 के पार दर्ज किया गया था. वहीं रविवार को दिल्ली एनसीआर के लगभग सभी इलाकों का प्रदूषण स्तर 300 के नीचे दर्ज किया गया. AQI में हुई गिरावट के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है.
० दिल्ली
अलीपुर- 289
शादीपुर- 293
डीटीयू दिल्ली- 285
आईटीओ दिल्ली- 229
सिरिफ्फोर्ट- 243
मंदिर मार्ग- 249
आरके पुरम- 273
पंजाबी बाघ- 305
लोधी रोड- 190
नॉर्थ केंपस डीयू- 224
सीआरआरआई मथुरा रोड- 289
पूसा- 214
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल- 164
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम- 262
नेहरू नगर- 330
द्वारका सेक्टर 8- 268
पटपड़गंज- 301
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज- 270
अशोक विहार- 281
सोनिया विहार- 290
जहांगीरपुरी- 297
रोहिणी- 320
विवेक विहार- 307
नजफगढ़- 152
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम- 290
नरेला- 293
ओखला फेस टू 2- 293
बवाना- 294
श्री औरबिंदो मार्ग- 266
मुंडका- 288
आनंद विहार- 288
IHBAS दिलशाद गार्डन- 193
० गाजियाबाद
वसुंधरा- 258
इंदिरापुरम- 137
संजय नगर- 199
लोनी- 221
० नोएडा
सेक्टर 62- 246
सेक्टर 125- 139
सेक्टर 1- 210
सेक्टर 116- 260
Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.