नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल को नीम हकीमों पर कड़ाई से लगाम लगाने का निर्देश दिया है. निर्देश देते हुए कहा कि वो ऐसे मामलों में शिकायतों का इंतजार न करें. यह निर्देश हाईकोर्ट ने एक नाबालिग और उसकी मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में नीम हकीमों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है. याचिका में एक खबर का जिक्र किया गया था, जिसमें एक नर्सिंग होम में फर्जी डॉक्टरों का गोरखधंधा चलने का खुलासा हुआ था.
दिल्ली मेडिकल काउंसिल को नोटिस: मामले की सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे सभी डॉक्टरों की डिग्री का समयबद्ध तरीके से जांच करने की मांग पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली मेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी किया. मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी 2024 को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये काफी महत्वपूर्ण मसला है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल को इस मामले में आगे आना चाहिए और शिकायतों का इंतजार किए बिना फर्जी डॉक्टरों और नीम हकीमों पर लगाम लगाना चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल से कहा कि उनका नियंत्रण जमीन पर दिखना चाहिए. दिल्ली मेडिकल काउंसिल को काफी सजग रहना होगा. लोगों का भरोसा दिल्ली मेडिकल काउंसिल जैसे संगठन पर होना चाहिए. कोर्ट ने सुझाव दिया कि डॉक्टरों के बारे में स्टेट मेडिकल रजिस्टर से कुछ सूचनाएं ऑनलाइन तरीके से सार्वजनिक होनी चाहिए ताकि लोग ये पता कर सकें कि डॉक्टर सही है कि नहीं.
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डीएमसी की मिलीभगत: सुनवाई के दौरान जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने कहा कि इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस डॉक्टर ने जिस किस्म की डिग्री ली है, उसी में इलाज करें. ऐसा नहीं होना चाहिए कि डिग्री एक स्ट्रीम का हो और दवाई किसी दूसरे स्ट्रीम की दी जाए. याचिका में कहा गया है कि जिस डॉक्टर के पास केवल एमबीबीएस डिग्री हो वो विशेषज्ञ होने का दावा नहीं करे और सर्जरी नहीं करे. याचिका में यह भी आरोप है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों से दिल्ली मेडिकल काउंसिल की मिलीभगत है.
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