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Delhi Mayor Election: सुप्रीम कोर्ट AAP की दलील पर सहमत, मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते मनोनीत पार्षद - Delhi Municipal Corporation

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में मनोनीत पार्षद वोट नहीं डाल सकते. संविधान में इसको लेकर पूरी स्पष्टता है. मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई में कहा कि मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं. संविधान में इसको लेकर पूरी स्पष्टता है.

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Published : Feb 13, 2023, 5:03 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 5:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की दलील को सही ठहराया है. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मेयर चुनाव में मनोनीत 10 पार्षद वोट नहीं डाल सकते. आम आदमी पार्टी चुनाव कराने को लेकर शुरुआत से ही इस बात की मांग कर रही थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में LG की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई होनी चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी.

AAP का कहना था कि मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं है, लेकिन पीठासीन अधिकारी द्वारा बार-बार मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार देने की बात से विरोध उत्पन्न हो रहा था. इस वजह से अब तक तीन बार निगम सदन की बैठक स्थगित हो चुकी है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि मनोनीत पार्षद मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते. संविधान में इसको लेकर पूरी स्पष्टता है. मेयर का चुनाव लगातार टलने को लेकर आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट गई थी. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार, नगर निगम और पीठासीन अधिकारी को नोटिस भेजा था.

ये भी पढ़े: दिल्ली: मामूली कहासुनी पर बदमाशों ने चाकू मारकर की हत्या की कोशिश

AAP ने की थी 5 मांगेंः कोर्ट में आम आदमी पार्टी ने 5 मांगे रखीं थीं. पहला निगम पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के पद से हटाया जाए. दूसरा, एक हफ्ते के अंदर एमसीडी का सदन बुलाया जाए, तीसरा मेयर चुनाव पूरा होने तक कोई स्थगन न हो, बाकी के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हों और आखिरी मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार न मिले. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा था. आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मनोनीत पार्षदों को वोटिंग अधिकार से बाहर रखने का आदेश दिया है.

बता दें, 6 फरवरी को एमसीडी सदन की कार्यवाही में हुए हंगामे के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि अब पार्टी मेयर चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि बीजेपी, आम आदमी पार्टी के पार्षदों को तोड़ना चाहती है और जब तक वह इसमें सफल नहीं होगी, वे चुनाव कराना नहीं चाहते, और इसी वजह से वह सदन की बैठक में हंगामा करने लगते हैं. मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव के लिए 6 जनवरी को पहली बार और 24 जनवरी को दूसरी बार बैठक बुलाई गई थी. लेकिन दोनों बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गईं. 250 वार्डों वाले एमसीडी में आप के 135 पार्षद और बीजेपी के 104 पार्षद हैं. एमसीडी में मनोनीत पार्षदों की संख्या 10 है.

ये भी पढ़ें: Shraddha Murder Case: आरोपी आफताब पूनावाला ने जेल में मांगा कॉपी-पेन, दिए 2 नए आवेदन

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की दलील को सही ठहराया है. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मेयर चुनाव में मनोनीत 10 पार्षद वोट नहीं डाल सकते. आम आदमी पार्टी चुनाव कराने को लेकर शुरुआत से ही इस बात की मांग कर रही थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में LG की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई होनी चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी.

AAP का कहना था कि मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं है, लेकिन पीठासीन अधिकारी द्वारा बार-बार मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार देने की बात से विरोध उत्पन्न हो रहा था. इस वजह से अब तक तीन बार निगम सदन की बैठक स्थगित हो चुकी है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि मनोनीत पार्षद मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते. संविधान में इसको लेकर पूरी स्पष्टता है. मेयर का चुनाव लगातार टलने को लेकर आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट गई थी. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार, नगर निगम और पीठासीन अधिकारी को नोटिस भेजा था.

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AAP ने की थी 5 मांगेंः कोर्ट में आम आदमी पार्टी ने 5 मांगे रखीं थीं. पहला निगम पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के पद से हटाया जाए. दूसरा, एक हफ्ते के अंदर एमसीडी का सदन बुलाया जाए, तीसरा मेयर चुनाव पूरा होने तक कोई स्थगन न हो, बाकी के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हों और आखिरी मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार न मिले. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा था. आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मनोनीत पार्षदों को वोटिंग अधिकार से बाहर रखने का आदेश दिया है.

बता दें, 6 फरवरी को एमसीडी सदन की कार्यवाही में हुए हंगामे के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि अब पार्टी मेयर चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि बीजेपी, आम आदमी पार्टी के पार्षदों को तोड़ना चाहती है और जब तक वह इसमें सफल नहीं होगी, वे चुनाव कराना नहीं चाहते, और इसी वजह से वह सदन की बैठक में हंगामा करने लगते हैं. मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव के लिए 6 जनवरी को पहली बार और 24 जनवरी को दूसरी बार बैठक बुलाई गई थी. लेकिन दोनों बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गईं. 250 वार्डों वाले एमसीडी में आप के 135 पार्षद और बीजेपी के 104 पार्षद हैं. एमसीडी में मनोनीत पार्षदों की संख्या 10 है.

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Last Updated : Feb 13, 2023, 5:12 PM IST
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