नई दिल्ली: कोरोना काल में 14 सितंबर को विधानसभा का एक दिन का सत्र बुलाने का फैसला लिया गया है. जिस पर नेता विपक्ष ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि इसी महामारी के बीच में संसद का सत्र बुलाया जा रहा है. बाकी राज्यों में विधानसभा सत्र पांच दिनों का बुलाया गया, तो दिल्ली में सिर्फ एक दिन का सत्र क्यों?
'सवालों से बचना चाहती है सरकार'
नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि दरअसल दिल्ली सरकार नहीं चाहती कि विधानसभा में जनता से जुड़े मुद्दों की चर्चा हो.
'विकास कार्य है ठप'
उनका कहना है कि दिल्ली में विकास कार्य ठप हो चुका है. सड़कों की हालत बदतर है. लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा. राशन वितरण सरकार नहीं कर पा रही है. सरकारी सेवाओं की होम डिलीवरी बंद है और कोरोना की आड़ में दिल्ली सरकार उन सभी जिम्मेदारी से भागने की बचना चाहती है.
नेता विपक्ष ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में कोरोना के मामले जिस तरह से बढ़े अगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो दिल्ली की स्थिति बदतर हो जाती. दिल्ली सरकार किसी भी मुद्दे पर सफल नहीं हो पाई है. अपनी नाकामी छुपाने के लिए ही सिर्फ एक दिन का सत्र विधानसभा का बुलाया गया है.
'झुग्गी वालों को पुनर्वासित करने के मुद्दे पर जवाब दे सरकार'
नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि वो विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से मांग करेंगे कि सत्र कम से कम 5 दिन का बुलाया जाए. क्योंकि समस्याएं बहुत है. अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह रेलवे लाइन पर बसी 48000 झुग्गी वालों को पुनर्वासित करने के आदेश दिए हैं. इस पर सरकार क्या कर रही है? इन सब मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा होने की जरूरत है. इसलिए जरूरी है सत्र की अवधि को बढ़ाया जाए.
बता दें कि इससे पहले कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 23 मार्च को बुलाया गया था. लेकिन कोरोना के चलते उत्पन्न स्थिति को देखते हुए वो सत्र भी एक दिन का ही बुलाया गया था.