नई दिल्ली : दिल्ली के कंझावला मामले (Delhi Kanjhawala case) में स्थानीय लोग व परिजन और पुलिस के बीच रूट को झड़प (Clash between local people and police over route) होने का मामला सामने आया है. रूट को लेकर परिजनों ने विरोध किया था. दरअसल, पुलिस अधिकारियों की तरफ से अचानक दूसरे रास्ते से एंबुलेंस को श्मशान घाट ले जाना चाह रही थी. जिसका स्थानीय लोगों ने और परिजनों ने विरोध किया था. इसके बाद पुलिस तय रुट से शव को श्मशान लेकर गई. साथ ही लोगों ने आरोपियों को फांसी लगाने की मांग की है. फांसी लगाने की मांग के नारे मंगोलपुरी के वाई ब्लॉक में लगाया गया.
आखिरकार पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच शव को पोस्टमार्टम के बाद उसके पैतृक घर करण विहार लाया गया. जहां सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग परिजन और परिवार के लोग मौजूद रहे. इस दौरान मीडिया कर्मी भी बड़ी संख्या में सुबह से ही करण विहार में मृतका के घर पर डटे रहे. शाम करीब 4:30 बजे शव को लाया गया तो परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.
स्थानीय लोगों का हुजूम शव को देखने के लिए उमड़ पड़ा. इस दौरान पुलिस ने तकरीबन 100 मीटर दूर पर बैरिकेडिंग करके और रस्सी बांधकर स्थानीय लोग को आगे जाने से रोका. साथ ही साथ मीडिया कर्मियों को भी घर के नजदीक जाने से रोक दिया गया. तकरीबन 5:30 बजे जब शव को अंतिम संस्कार के लिए घर से श्मशान घाट जाने लगे, उस वक्त अचानक पुलिस अधिकारियों ने रूट बदल दिया. इसको लेकर पुलिस, परिजनों और स्थानीय लोगों के बीच मामूली झड़प हुई. परिजनों का कहना था कि जो रूट पहले से तय किया गया था उसी रूट से शव को ले जाया जाए. आखिरकार पुलिस ने परिजनों की बात मानी और उसी रास्ते से शव को अंतिम संस्कार के लिए मंगोलपुरी वाई ब्लॉक श्मशान घाट ले जाया गया. जहां तमाम सुरक्षा व्यवस्थाओं के बीच अंतिम संस्कार किया गया.
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