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राजधानी में शराब घोटाले के बाद सुर्खियों में दिल्ली जल बोर्ड, लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप - Water Minister of Delhi Government Atishi

Delhi Jal Board: भ्रष्टाचार के आरोपों और ठेकेदारों को बकाए का भुगतान नहीं करने को लेकर दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार विरोधियों के निशाने पर है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 28, 2023, 3:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में शराब घोटाले के बाद अब जल बोर्ड सुर्खियों में है. बीते दिनों दिल्ली सरकार की जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में अचानक से पानी संकट का मुद्दा उठाया और चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी दिनों में दिल्ली के बहुतायत इलाकों में जल संकट हो सकता है. इसके पीछे उन्होंने कारण बताया कि दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदारों को कई महीनों से भुगतान नहीं किया गया है, वह अब हड़ताल करने जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली जल बोर्ड सीएजी से अपने खातों की जांच कराने को तैयार, हाई कोर्ट को दी जानकारी

हालांकि जल मंत्री के बयान के बाद जल बोर्ड ने सफाई देते हुए कहा कि दिल्ली के तमाम जल शोधन संयंत्र में निर्धारित मात्रा में पानी की आपूर्ति की जा रही है. जल संकट जैसी कोई बात नहीं है. इसी बीच विपक्ष ने दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि जल बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और इससे सीधे मुख्यमंत्री का कनेक्शन जुड़ा हुआ है.

जल बोर्ड का खाता 170 फीसद बढ़ा

दिल्ली जल बोर्ड जो अभी तक अपने खातों की जांच कैग से कराने को तैयार नहीं था, ने हाई कोर्ट को बताया कि वह 6 साल के सालाना खाते की सीएजी जांच कराने के लिए तैयार है. दिल्ली में पानी को लेकर बीते दिनों हुए बयान बाजी और घटनाक्रम पर दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार की मंत्री आतिशी दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की गलत नीतियों के कारण दिल्ली जल बोर्ड का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 5 सालों में यह घाटा 170 फीसद बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है. जल बोर्ड के पास खर्च का कोई हिसाब किताब नहीं है. यमुना की सफाई और संसाधन बढ़ाने के लिए दिए गए फंड को भी बिना मंजूरी के ही दूसरे मदों में खर्च कर दिया गया है.

दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने ही उठाए सवाल

दिल्ली सरकार के ही वित्त विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड के कामकाज पर रिपोर्ट मांगी है. वित्त विभाग ने जो सवाल उठाए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. 31 मार्च 2018 तक दिल्ली जल बोर्ड का घाटा 268 करोड़ रुपये था. लेकिन पिछले 5 साल में घाटा 70 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. दिल्ली जल बोर्ड के रिकॉर्ड में पानी की सप्लाई भी बढ़ रही है और उपभोक्ताओं की संख्या भी, लेकिन राजस्व घट रहा है. इस पर वित्त विभाग ने सवाल उठाए हैं. वित्त विभाग ने और भी कई सवाल उठाए हैं, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड इसका जवाब नहीं दे रहा है.

10 साल पहले जल बोर्ड के पास था सरप्लस बजट

नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी कहते हैं वर्ष 2013-14 में दिल्ली जल बोर्ड में करीब 600 करोड़ रुपये सरप्लस थे. यह बात तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी स्वीकार की थी. जल बोर्ड को जो रेवेन्यू प्राप्त होता है उसी से उसके वेतन आदि का खर्च निकालना चाहिए, लेकिन अब हालत ये है कि हर साल दिल्ली सरकार दिल्ली जल बोर्ड को वेतन व अन्य खर्च के लिए 900 करोड़ रुपये दे रही है.

यही नहीं दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को 12,712 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट के लिए दिए लेकिन इस राशि का कोई हिसाब नहीं है. इससे बड़ी राशि दूसरे कामों के लिए खर्च कर दी गई और उसकी कोई मंजूरी नहीं ली गई. इसी साल दिल्ली जल बोर्ड को यमुना की सफाई तथा अन्य कार्यों के लिए 1557 करोड़ रुपए दिए गए लेकिन पता चला कि 750 करोड़ का भुगतान पिछले बकाया के रूप में कर दिया गया और उसकी भी कोई मंजूरी नहीं ली गई.

सोमवार से कई जगहों पर ठेकेदारों ने काम किया बंद

दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदारों ने सोमवार से कम बंद कर दिया है. जिस वजह से कई जगहों पर समस्या खड़ी हो गई है. पश्चिमी दिल्ली के केशवपुर नाले के पास देर रात पानी आपूर्ति पाइपलाइन फट गई, जिसे कांट्रैक्टरों ने रिपेयर करने से भी मना कर दिया. दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के कई घरों में गंदा पानी सप्लाई होने की शिकायत की भी कल से सुनवाई नहीं हो रही है.

जल बोर्ड ठेकेदार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश जैन बताते हैं कि जल बोर्ड में जितने भी ठेकेदार हैं उनका पिछले 9 महीने से पैसे का भुगतान नहीं किया गया है. योजना से संबंधित दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान भी बाकी है. इस वजह से वे जल बोर्ड से संबंधित कार्यों से दूरी बनाए हुए हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली जल बोर्ड केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है, इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए: मनोज तिवारी

ये भी पढ़ें: पेमेंट का भुगतान नहीं होने से सड़कों पर उतरे जल बोर्ड के कॉन्ट्रैक्टर्स, 27 नवंबर से काम ठप करने की चेतावनी

नई दिल्ली: दिल्ली में शराब घोटाले के बाद अब जल बोर्ड सुर्खियों में है. बीते दिनों दिल्ली सरकार की जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में अचानक से पानी संकट का मुद्दा उठाया और चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी दिनों में दिल्ली के बहुतायत इलाकों में जल संकट हो सकता है. इसके पीछे उन्होंने कारण बताया कि दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदारों को कई महीनों से भुगतान नहीं किया गया है, वह अब हड़ताल करने जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली जल बोर्ड सीएजी से अपने खातों की जांच कराने को तैयार, हाई कोर्ट को दी जानकारी

हालांकि जल मंत्री के बयान के बाद जल बोर्ड ने सफाई देते हुए कहा कि दिल्ली के तमाम जल शोधन संयंत्र में निर्धारित मात्रा में पानी की आपूर्ति की जा रही है. जल संकट जैसी कोई बात नहीं है. इसी बीच विपक्ष ने दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि जल बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और इससे सीधे मुख्यमंत्री का कनेक्शन जुड़ा हुआ है.

जल बोर्ड का खाता 170 फीसद बढ़ा

दिल्ली जल बोर्ड जो अभी तक अपने खातों की जांच कैग से कराने को तैयार नहीं था, ने हाई कोर्ट को बताया कि वह 6 साल के सालाना खाते की सीएजी जांच कराने के लिए तैयार है. दिल्ली में पानी को लेकर बीते दिनों हुए बयान बाजी और घटनाक्रम पर दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार की मंत्री आतिशी दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की गलत नीतियों के कारण दिल्ली जल बोर्ड का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 5 सालों में यह घाटा 170 फीसद बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है. जल बोर्ड के पास खर्च का कोई हिसाब किताब नहीं है. यमुना की सफाई और संसाधन बढ़ाने के लिए दिए गए फंड को भी बिना मंजूरी के ही दूसरे मदों में खर्च कर दिया गया है.

दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने ही उठाए सवाल

दिल्ली सरकार के ही वित्त विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड के कामकाज पर रिपोर्ट मांगी है. वित्त विभाग ने जो सवाल उठाए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. 31 मार्च 2018 तक दिल्ली जल बोर्ड का घाटा 268 करोड़ रुपये था. लेकिन पिछले 5 साल में घाटा 70 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. दिल्ली जल बोर्ड के रिकॉर्ड में पानी की सप्लाई भी बढ़ रही है और उपभोक्ताओं की संख्या भी, लेकिन राजस्व घट रहा है. इस पर वित्त विभाग ने सवाल उठाए हैं. वित्त विभाग ने और भी कई सवाल उठाए हैं, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड इसका जवाब नहीं दे रहा है.

10 साल पहले जल बोर्ड के पास था सरप्लस बजट

नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी कहते हैं वर्ष 2013-14 में दिल्ली जल बोर्ड में करीब 600 करोड़ रुपये सरप्लस थे. यह बात तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी स्वीकार की थी. जल बोर्ड को जो रेवेन्यू प्राप्त होता है उसी से उसके वेतन आदि का खर्च निकालना चाहिए, लेकिन अब हालत ये है कि हर साल दिल्ली सरकार दिल्ली जल बोर्ड को वेतन व अन्य खर्च के लिए 900 करोड़ रुपये दे रही है.

यही नहीं दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को 12,712 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट के लिए दिए लेकिन इस राशि का कोई हिसाब नहीं है. इससे बड़ी राशि दूसरे कामों के लिए खर्च कर दी गई और उसकी कोई मंजूरी नहीं ली गई. इसी साल दिल्ली जल बोर्ड को यमुना की सफाई तथा अन्य कार्यों के लिए 1557 करोड़ रुपए दिए गए लेकिन पता चला कि 750 करोड़ का भुगतान पिछले बकाया के रूप में कर दिया गया और उसकी भी कोई मंजूरी नहीं ली गई.

सोमवार से कई जगहों पर ठेकेदारों ने काम किया बंद

दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदारों ने सोमवार से कम बंद कर दिया है. जिस वजह से कई जगहों पर समस्या खड़ी हो गई है. पश्चिमी दिल्ली के केशवपुर नाले के पास देर रात पानी आपूर्ति पाइपलाइन फट गई, जिसे कांट्रैक्टरों ने रिपेयर करने से भी मना कर दिया. दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के कई घरों में गंदा पानी सप्लाई होने की शिकायत की भी कल से सुनवाई नहीं हो रही है.

जल बोर्ड ठेकेदार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश जैन बताते हैं कि जल बोर्ड में जितने भी ठेकेदार हैं उनका पिछले 9 महीने से पैसे का भुगतान नहीं किया गया है. योजना से संबंधित दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान भी बाकी है. इस वजह से वे जल बोर्ड से संबंधित कार्यों से दूरी बनाए हुए हैं.

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