नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में निचली अदालत में लंबित कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर चार अक्टूबर तक सुनवाई स्थगित कर दी. बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने स्वामी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि का केस किया था. मामले में बुधवार को स्वामी की याचिका पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने सुनवाई की इस दौरान स्वामी की ओर से अधिवक्ता सभ्य सभरवाल पेश हुए.
उन्होंने कोर्ट को सूचित किया गया कि पूर्व कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल बग्गा के खिलाफ मामले में स्वामी का प्रतिनिधित्व करेंगे. सभरवाल ने यह कहते हुए आज सुनवाई स्थगित करने की मांग की कि स्वामी अनुच्छेद 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष व्यस्त थे. बयान दर्ज करने के बाद न्यायाधीश ने मामले को चार अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया.
यह है मामला: दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेता तजिंदर पाल बग्गा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि स्वामी ने सितंबर 2021 में एक ट्वीट में झूठा दावा किया था कि बग्गा भाजपा में शामिल होने से पहले छोटे-मोटे अपराधों के लिए कई बार जेल जा चुके थे. स्वामी ने मानहानि मामले में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) द्वारा जारी समन को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कार्यवाही को रद्द करने के लिए कहा था. न्यायमूर्ति शर्मा का विचार था कि स्वामी को सीधे हाई कोर्ट में जाने के बजाय शुरुआत में सेशन कोर्ट से संपर्क करना चाहिए था. उन्होंने याचिका की विचारणीयता पर पहले दलीलें पेश करने को कहा.
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बग्गा ने दिया नोटिस : बग्गा के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति में स्वामी के वकील ने कहा था कि अदालत को याचिका का निपटारा कर देना चाहिए क्योंकि बग्गा ने मामले में पेश नहीं होने का फैसला किया है. हाई कोर्ट ने तब मामले को बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था और कहा था कि बग्गा को संबंधित थाने के थानाध्यक्ष के माध्यम से अदालत का नोटिस दिया जाना चाहिए.
पिछले साल 22 मार्च को एसीएमएम ने स्वामी को मामले में आरोपी के रूप में तलब किया था और कहा था कि उनके खिलाफ मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं. फिर स्वामी की याचिका पर चार अप्रैल 2022 को हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगा दी और स्वामी की याचिका के आधार पर बग्गा को नोटिस जारी किया.
इससे पहले, स्वामी के वकील ने दलील दी थी कि ट्रायल कोर्ट का आदेश गलत धारणा पर आधारित था क्योंकि उनके ट्वीट की गलत व्याख्या की गई थी. ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी गवाही में बग्गा ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि वे झूठे थे और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का इरादा था.
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