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मृत बेटे का संरक्षित स्पर्म माता-पिता को मिलेगा कि नहीं, हाईकोर्ट करेगा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट में एक दिलचस्प याचिका दायर की गई है. एक मृत युवक के माता-पिता ने याचिका दायर किया है. उन्होंने मृत युवक के संरक्षित शुक्राणु (Sperm) का सैंपल दिलाने की मांग की है.

Delhi High Court
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Published : Feb 6, 2022, 11:02 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में एक दिलचस्प याचिका दायर की गई है. एक मृत युवक के माता-पिता ने याचिका दायर कर उसके संरक्षित शुक्राणु (Sperm) का सैंपल दिलाने की मांग की है. जस्टिस वी कामेश्वर राव की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए गंगाराम अस्पताल और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर 13 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे की 2020 में कैंसर से मौत हो गई थी. उनके बेटे का इलाज गंगाराम अस्पताल में चल रहा था. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि कैंसर के इलाज की वजह से उन्हें इनफर्टिलिटी हो सकती है. उसके बाद उनके दिवंगत बेटे ने आईवीएफ लैब में अपने स्पर्म सुरक्षित रखवा दिया.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट में कॉलिन गोंजाल्वेस ने वैवाहिक रेप को अपराध करार देने की मांग उठाई

याचिका में कहा गया है कि उनके बेटे की मौत के बाद याचिकाकर्ताओं ने स्पर्म रिलीज करने की मांग की, ताकि वे अपने पुत्र की विरासत को आगे बढ़ा सकें. लेकिन अस्पताल ने उनके बेटे का स्पर्म देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसके लिए सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता अपने बेटे की बची हुई शारीरिक संपत्ति के एकमात्र दावेदार हैं. याचिका में कहा गया है कि अस्पताल का स्पर्म का सैंपल देने से इनकार करना उनके अधिकार से वंचित करने जैसा है.

ये भी पढ़ें: सागर धनखड़ हत्या मामले के आरोपी सुशील पहलवान की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी

सुनवाई के दौरान अस्पताल की ओर से कहा गया कि अस्पतालों को जीवित व्यक्ति की इजाजत से उसके स्पर्म जमा कर सुरक्षित रखने का प्रावधान है, लेकिन उसकी मौत के बाद कानूनी अधिकार बदल जाते हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में एक दिलचस्प याचिका दायर की गई है. एक मृत युवक के माता-पिता ने याचिका दायर कर उसके संरक्षित शुक्राणु (Sperm) का सैंपल दिलाने की मांग की है. जस्टिस वी कामेश्वर राव की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए गंगाराम अस्पताल और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर 13 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे की 2020 में कैंसर से मौत हो गई थी. उनके बेटे का इलाज गंगाराम अस्पताल में चल रहा था. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि कैंसर के इलाज की वजह से उन्हें इनफर्टिलिटी हो सकती है. उसके बाद उनके दिवंगत बेटे ने आईवीएफ लैब में अपने स्पर्म सुरक्षित रखवा दिया.

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याचिका में कहा गया है कि उनके बेटे की मौत के बाद याचिकाकर्ताओं ने स्पर्म रिलीज करने की मांग की, ताकि वे अपने पुत्र की विरासत को आगे बढ़ा सकें. लेकिन अस्पताल ने उनके बेटे का स्पर्म देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसके लिए सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता अपने बेटे की बची हुई शारीरिक संपत्ति के एकमात्र दावेदार हैं. याचिका में कहा गया है कि अस्पताल का स्पर्म का सैंपल देने से इनकार करना उनके अधिकार से वंचित करने जैसा है.

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सुनवाई के दौरान अस्पताल की ओर से कहा गया कि अस्पतालों को जीवित व्यक्ति की इजाजत से उसके स्पर्म जमा कर सुरक्षित रखने का प्रावधान है, लेकिन उसकी मौत के बाद कानूनी अधिकार बदल जाते हैं.

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