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दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को सैलरी देने का मामला दूसरी बेंच को ट्रांसफर

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Published : Sep 24, 2020, 3:20 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी के करीब डेढ़ हजार प्रोफेसरों को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं दी जा रही है. जिसको लेकर चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने सुनवाई करते हुए इस मामले को जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया है.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने का दिशानिर्देश जारी करने वाली याचिका को दूसरी बेंच को ट्रांसफर कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने इस याचिका को जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफर कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी.

जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफर
4 महीने से डेढ़ हजार प्रोफेसरों को सैलरी नहीं मिल रही

आज सुनवाई के दौरान कॉलेज के प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार डेढ़ हजार परिवारों को दंड दे रही है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के करीब डेढ़ हजार प्रोफेसरों को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं दी जा रही है. अब तो सितंबर महीना भी जल्द ही खत्म होने वाला है. पिछले 21 सितंबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा था कि ये मामला जनहित याचिका की तरह है, इसलिए इस पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच विचार करेगी.

मई महीने से नहीं मिल रहा वेतन

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली यूनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.



डूटा के पत्र लिखने क बाद भी वेतन नहीं दिया गया

याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने का दिशानिर्देश जारी करने वाली याचिका को दूसरी बेंच को ट्रांसफर कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने इस याचिका को जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफर कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी.

जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफर
4 महीने से डेढ़ हजार प्रोफेसरों को सैलरी नहीं मिल रही

आज सुनवाई के दौरान कॉलेज के प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार डेढ़ हजार परिवारों को दंड दे रही है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के करीब डेढ़ हजार प्रोफेसरों को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं दी जा रही है. अब तो सितंबर महीना भी जल्द ही खत्म होने वाला है. पिछले 21 सितंबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा था कि ये मामला जनहित याचिका की तरह है, इसलिए इस पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच विचार करेगी.

मई महीने से नहीं मिल रहा वेतन

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली यूनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.



डूटा के पत्र लिखने क बाद भी वेतन नहीं दिया गया

याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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