नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम को एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला की अस्थाई निवास पर कार्रवाई को तत्काल में रोकने और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. 80 वर्षीय महिला पिछले 30 सालो से भी अधिक समय से उस जगह रहकर कुत्तों की देखभाल करती है. 3 जनवरी को एमसीडी ने उनके अस्थाई निवास को तोड़ दिया था. इसके बाद डॉग लवर्स की मदद से राहत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया.
अदालत ने तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओवरी की पीठ मामले में सुनवाई शुरू की. कोर्ट ने एमसीडी और दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया कि दोनों पक्षों में से किसी के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना याचिकाकर्ता को पुनर्वास प्रदान करने की संभावना तलाशें.
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और याचिकाकर्ता के इस तर्क को ध्यान में रखते हुए कि MCD की तरफ से बिना किसी पूर्व सूचना के आपत्तिजनक कार्रवाई की गई है. न्यायालय यह निर्देश देना समीचीन समझता है कि प्रतिवादी मामले की सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखेगा. याचिकाकर्ता को अंतरिम उपाय के रूप में तिरपाल लगाने की अनुमति दी जाएगी. न्यायमूर्ति ओहरी ने मामले को 15 मार्च को सूचीबद्ध करते हुए याचिका पर नोटिस भी जारी किया है.
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याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता वैभव गग्गर, मोनिका लखनपाल, शिवानी सेठी और कोकिला कुमार ने किया. याचिका में एमसीडी, दिल्ली सरकार और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को ऑक्टोजेरियन के अस्थायी आश्रय को ध्वस्त करने से रोकने और विस्थापित आवारा कुत्तों के लिए वैकल्पिक आश्रय प्रदान किए जाने तक यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी. एमसीडी की कार्रवाई को मनमाना, अनुचित और अमानवीय बताते हुए तर्क दिया गया कि उक्त कार्रवाई भेदभावपूर्ण है और आवारा कुत्तों के साथ-साथ बूढ़ी महिलाओं के अधिकारों का घोर उल्लंघन है, जिन्हें बिना पूर्व सूचना दिए उनके अस्थायी अस्थायी आश्रय से विस्थापित कर दिया गया है.
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