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सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब - Devangana Kalita petition

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को वर्ष 2020 में दिल्ली दंगे मामले को लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने या याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 16, 2023, 4:06 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में आरोपित देवांगना कलिता की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति अमित बंसल ने दिल्ली पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने या याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 17 जनवरी 2024 को होगी.

कोर्ट ने मामले में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन के कुछ वीडियो और उनके खिलाफ दिल्ली दंगों के दो मामलों में पुलिस अधिकारियों के व्हाट्सएप समूहों की चैट की मांग की थी. आरोपी कलिता ने दोनों दंगों के मामलों (एफआईआर) में आरोप की दलीलों पर रोक लगाने की भी मांग की है.

क्या है मामला: देवांगना कलिता पिंजड़ा तोड़ो ग्रुप की सदस्य है. इन संगठन पर दिल्ली में दंगे फैलाने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के पास इनके द्वारा दंगा फैलाए जाने का सबूत वीडियो के रूप में मौजूद है. कलिता का वीडियो टेंडर के आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति ने शूट किया गया था. उनके वकील अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने कहा कि वीडियो बेगुनाही को प्रदर्शित करेंगे और इस तथ्य को भी प्रदर्शित करेंगे कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं.

पुजारी ने कहा कि ये वीडियो दिल्ली पुलिस द्वारा दोनों मामलों में कलिता के खिलाफ दायर आरोप-पत्र का हिस्सा हैं. उन्होंने एक मामले में वीडियो के आधार पर मेरी पहचान की है. साथ ही मेरे खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है कि मैं उस समूह का हिस्सा थी, जिसने दंगाइयों में से एक की हत्या कर दी थी.

कहा जा रहा है कि मैं जाफराबाद फ्लाईओवर के नीचे विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का हिस्सा हूं. उस वीडियो से चुनिंदा तस्वीरें ली गई हैं. वीडियो मुझे उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. चार साल बीत गए, वे आगे की जांच की आड़ में दावा करते हैं और वीडियो उपलब्ध नहीं कराना चाहते.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा: पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगना कलिता गिरफ्तार

वीडियो के अलावा और सबूत: दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले एसपीपी मधुकर पांडे ने याचिकाओं की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कलिता रिट क्षेत्राधिकार के तहत अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकती थीं, जब उनके लिए अन्य प्रभावी उपाय उपलब्ध थे. एसपीपी ने दावा करते हुए कहा कि कलिता ने लगभग एक साल की देरी के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

एसपीपी ने कहा कि उन पर सिर्फ वीडियो के कारण आरोप नहीं लगाया गया है और भी सबूत हैं. आगे की जांच जारी है. आरोपी अभी भी फरार हैं. हाल ही में केवल दो महीने पहले, हमने एक भगोड़े को पकड़ लिया था. एसपीपी ने कहा कि अभियोजन पक्ष कलिता के खिलाफ संबंधित वीडियो पर भरोसा नहीं कर रहा है और वे आरोप-पत्र का हिस्सा नहीं हैं. कलिता को जून 2021 में सह-अभियुक्त आसिफ इकबाल तन्हा और नताशा नरवाल के साथ जमानत दे दी थी. मई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा क्योंकि दिल्ली पुलिस की चुनौती खारिज कर दी गई थी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा: स्पेशल सेल ने देवांगना कलिता को यूएपीए के तहत किया गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में आरोपित देवांगना कलिता की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति अमित बंसल ने दिल्ली पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने या याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 17 जनवरी 2024 को होगी.

कोर्ट ने मामले में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन के कुछ वीडियो और उनके खिलाफ दिल्ली दंगों के दो मामलों में पुलिस अधिकारियों के व्हाट्सएप समूहों की चैट की मांग की थी. आरोपी कलिता ने दोनों दंगों के मामलों (एफआईआर) में आरोप की दलीलों पर रोक लगाने की भी मांग की है.

क्या है मामला: देवांगना कलिता पिंजड़ा तोड़ो ग्रुप की सदस्य है. इन संगठन पर दिल्ली में दंगे फैलाने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के पास इनके द्वारा दंगा फैलाए जाने का सबूत वीडियो के रूप में मौजूद है. कलिता का वीडियो टेंडर के आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति ने शूट किया गया था. उनके वकील अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने कहा कि वीडियो बेगुनाही को प्रदर्शित करेंगे और इस तथ्य को भी प्रदर्शित करेंगे कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं.

पुजारी ने कहा कि ये वीडियो दिल्ली पुलिस द्वारा दोनों मामलों में कलिता के खिलाफ दायर आरोप-पत्र का हिस्सा हैं. उन्होंने एक मामले में वीडियो के आधार पर मेरी पहचान की है. साथ ही मेरे खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है कि मैं उस समूह का हिस्सा थी, जिसने दंगाइयों में से एक की हत्या कर दी थी.

कहा जा रहा है कि मैं जाफराबाद फ्लाईओवर के नीचे विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का हिस्सा हूं. उस वीडियो से चुनिंदा तस्वीरें ली गई हैं. वीडियो मुझे उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. चार साल बीत गए, वे आगे की जांच की आड़ में दावा करते हैं और वीडियो उपलब्ध नहीं कराना चाहते.

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वीडियो के अलावा और सबूत: दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले एसपीपी मधुकर पांडे ने याचिकाओं की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कलिता रिट क्षेत्राधिकार के तहत अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकती थीं, जब उनके लिए अन्य प्रभावी उपाय उपलब्ध थे. एसपीपी ने दावा करते हुए कहा कि कलिता ने लगभग एक साल की देरी के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

एसपीपी ने कहा कि उन पर सिर्फ वीडियो के कारण आरोप नहीं लगाया गया है और भी सबूत हैं. आगे की जांच जारी है. आरोपी अभी भी फरार हैं. हाल ही में केवल दो महीने पहले, हमने एक भगोड़े को पकड़ लिया था. एसपीपी ने कहा कि अभियोजन पक्ष कलिता के खिलाफ संबंधित वीडियो पर भरोसा नहीं कर रहा है और वे आरोप-पत्र का हिस्सा नहीं हैं. कलिता को जून 2021 में सह-अभियुक्त आसिफ इकबाल तन्हा और नताशा नरवाल के साथ जमानत दे दी थी. मई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा क्योंकि दिल्ली पुलिस की चुनौती खारिज कर दी गई थी.

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