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दिल्ली हाई कोर्ट ने आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई में आयुर्वेद, योग को शामिल करने की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा - Ayurveda in PMJAY

दिल्ली हाई कोर्ट ने आयुष्मान भारत योजना के तहत पीएमजेएवाई में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार को शामिल करने की याचिका पर केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. Delhi High Court, Ayushman Bharat Scheme

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 2, 2023, 6:18 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार को शामिल करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दोनों सरकारों से आठ सप्ताह में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी 2024 को होगी.

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गौरतलब है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों के लिए स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी. इसके दो मुख्य घटक हैं, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र. पीएमजेएवाई के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया जाता है.

उपाध्याय ने तर्क दिया कि पीएमजेएवाई केवल एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों को कवर करता है, जबकि आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी जैसी स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियां इसमें शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) और पीएमजेएवाई के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं अधूरी हैं और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के अनुरूप नहीं हैं.

यह योजना मुख्य रूप से एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों को कवर करती है और इन्हीं तक सीमित है, जबकि भारत आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी सहित विभिन्न स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों का दावा करता है, जो भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित हैं और स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को संबोधित करने में अत्यधिक प्रभावी हैं.

याचिका में दावा किया गया है कि भारत में, भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में प्रशिक्षित 90 प्रतिशत से अधिक डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक और अस्पताल चलाते हैं और आयुष्मान योजना में आयुर्वेद और अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बाहर करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि अगर आयुर्वेद को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाता है, तो इससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को विभिन्न गंभीर बीमारियों में बिना किसी नुकसान और कम दरों पर किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा, साथ ही हजारों लोगों को आयुर्वेद के क्षेत्र में रोजगार भी मिलेगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार को शामिल करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दोनों सरकारों से आठ सप्ताह में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी 2024 को होगी.

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गौरतलब है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों के लिए स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी. इसके दो मुख्य घटक हैं, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र. पीएमजेएवाई के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया जाता है.

उपाध्याय ने तर्क दिया कि पीएमजेएवाई केवल एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों को कवर करता है, जबकि आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी जैसी स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियां इसमें शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) और पीएमजेएवाई के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं अधूरी हैं और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के अनुरूप नहीं हैं.

यह योजना मुख्य रूप से एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों को कवर करती है और इन्हीं तक सीमित है, जबकि भारत आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी सहित विभिन्न स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों का दावा करता है, जो भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित हैं और स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को संबोधित करने में अत्यधिक प्रभावी हैं.

याचिका में दावा किया गया है कि भारत में, भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में प्रशिक्षित 90 प्रतिशत से अधिक डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक और अस्पताल चलाते हैं और आयुष्मान योजना में आयुर्वेद और अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बाहर करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि अगर आयुर्वेद को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाता है, तो इससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को विभिन्न गंभीर बीमारियों में बिना किसी नुकसान और कम दरों पर किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा, साथ ही हजारों लोगों को आयुर्वेद के क्षेत्र में रोजगार भी मिलेगा.

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