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पीएम केयर्स फंड पर हाईकोर्ट ने पीएमओ से मांगा विस्तृत हलफनामा, अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी - याचिका पर सुनवाई

पीएम केयर्स फंड को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएमओ से विस्तृत हलफनामा मांगा है. इसी के साथ सुनवाई की अगली तारीख 16 सितंबर तय कर दी है.

Delhi High Court
पीएम केयर्स फंड
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Published : Jul 12, 2022, 7:40 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड पर पीएमओ से विस्तृत हलफनामा मांगा है. साथ ही एक पेज का हलफनामा देने पर नाराजगी भी जताई. हाई कोर्ट पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को निर्धारित कर दी है.


ये भी पढ़ें-पीएम केयर्स पर बोले कानून मंत्री, 'कांग्रेस राज में हुआ फंड का दुरुपयोग'

26 अप्रैल को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. दीवान ने कहा था कि सवाल ये है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर एक समूह का निर्माण कर कार्य कर सकते हैं. ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है. इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन सदस्य हैं . उन्होंने कहा था कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है, इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा वो बोर्ड में शामिल होगा. तब कोर्ट ने दीवान से पूछा था कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है, तब दीवान ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है. लेकिन अगर ये सरकारी है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे. आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं.

क्या है केंद्र का दृष्टिकोणः इससे पहले 11 अक्टूबर 2021 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड में आनेवाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं जाता है, इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है.


वहीं 23 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. श्रीवास्तव ने कहा था कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है जो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड का ऑडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.


17 अगस्त 2021 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था, याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरूपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरूपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है. दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड पर पीएमओ से विस्तृत हलफनामा मांगा है. साथ ही एक पेज का हलफनामा देने पर नाराजगी भी जताई. हाई कोर्ट पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को निर्धारित कर दी है.


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26 अप्रैल को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. दीवान ने कहा था कि सवाल ये है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर एक समूह का निर्माण कर कार्य कर सकते हैं. ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है. इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन सदस्य हैं . उन्होंने कहा था कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है, इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा वो बोर्ड में शामिल होगा. तब कोर्ट ने दीवान से पूछा था कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है, तब दीवान ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है. लेकिन अगर ये सरकारी है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे. आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं.

क्या है केंद्र का दृष्टिकोणः इससे पहले 11 अक्टूबर 2021 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड में आनेवाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं जाता है, इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है.


वहीं 23 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. श्रीवास्तव ने कहा था कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है जो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड का ऑडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.


17 अगस्त 2021 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था, याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरूपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरूपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है. दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है.

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