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दिल्ली हाईकोर्ट: सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में सोचना चाहिए, केरल मॉडल पर विचार हो - सरकार उपभोक्ता दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि कीमत सस्ती होनी चाहिए. किल्लत का फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए. सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए.कोर्ट ने कहा कि अगर केरल सरकार अस्पताल के चार्ज तक फिक्स कर सकती है तो दिल्ली में वो मॉडल क्यों नहीं अपनाया जा सकता है.

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : May 17, 2021, 8:03 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जब केरल में अस्पतालों के इलाज के लिए रेट तय हो सकते हैं तो इस मॉडल के लागू करने पर विचार होना चाहिए. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार से ये बातें पूछी.

सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए

सुनवाई के दौरान ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की कीमत तय करने के मामले पर जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि इसमें मांग और आपूर्ति का नियम लागू नहीं हो सकता है. सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. इसकी कीमत की एक सीमा होनी चाहिए. तब केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि इनकी कीमत निर्यातक तय करते हैं. अलग-अलग ब्रांड, साइज इत्यादि के ऑक्सीजन कंसेट्रेटर्स की कीमतें अलग-अलग होती हैं.

तब कोर्ट पूछा कि रेट फिक्स करने का आप कोई फॉर्मूला क्यों नहीं बनाते हैं. इस पर कीर्तिमान सिंह ने कहा कि अधिकतम मूल्य पर हमेशा भ्रम रहता है क्योंकि रेट हमेशा बदलते रहते हैं. जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि ये जवाब नहीं हुआ, इस पर काम कीजिए. हम हाथ हवा में खड़ा कर नहीं कह सकते हैं कि इसका रेट फिक्स नहीं हो सकता है.

जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि कीमत सस्ती होनी चाहिए. किल्लत का फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए. सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए.

रेट तय करने का फार्मूला तय हो

कीर्तिमान सिंह ने कहा कि उपकरणों की वैश्विक स्तर पर कमी है. अगर आज हम कीमतें तय कर देंगे तो सप्लायर जो भी सप्लाई कर रहे हैं वे नहीं करेंगे. तब कोर्ट ने कहा कि आप किस आधार पर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की रेट तय करेंगे उसका फार्मूला तय कीजिए. आप रुपये पैसे में तय मत कीजिए बल्कि आप रेट तय करने का फार्मूला तय कीजिए. इस पर कीर्तिमान सिंह ने समय देने की मांग की.

ये भी पढ़ें- जानिए, पोस्टर लगाने वालों से लेकर राजनेताओं तक कैसे पहुंची दिल्ली पुलिस

कोर्ट ने कहा कि क्या खरीदना है, उसका इस्तेमाल कैसे करना है उसकी जानकारी होनी चाहिए. आप इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार क्यों नहीं कर रहे हैं. तब कीर्तिमान ने कहा कि केंद्र सरकार के व्यापक प्रचार-प्रसार की वजह से ही आरोग्य सेतु ऐप का इतना इस्तेमाल हो रहा है.

केरल मॉडल पर विचार हो

सुनवाई के दौरान वकील अभय गुप्ता ने केंद्र सरकार से कहा कि आप बहाने मत बनाइए, रेट फिक्स कीजिए. उन्होंने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां अस्पतालों के चार्ज तक फिक्स हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर केरल सरकार अस्पताल के चार्ज तक फिक्स कर सकती है तो दिल्ली में वो मॉडल क्यों नहीं अपनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना शहीद डॉक्टर्स के परिवार की जारी की जाए आर्थिक मदद, FORDA ने सीएम केजरीवाल को लिखा पत्र

जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि आप एक कोरोना किट दे दें और उसके लिए चार्ज करते रहें. तब राहुल मेहरा ने कहा कि इस समय अस्पताल ही एक ऐसा संस्थान है जो व्यवसाय कर रहे हैं. उन्हें अपनी सेवाएं इस महामारी के समय मुफ्त होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- ताकि परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए बात कर सकें मरीज, सीएम ने की व्यवस्था की पड़ताल

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जब केरल में अस्पतालों के इलाज के लिए रेट तय हो सकते हैं तो इस मॉडल के लागू करने पर विचार होना चाहिए. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार से ये बातें पूछी.

सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए

सुनवाई के दौरान ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की कीमत तय करने के मामले पर जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि इसमें मांग और आपूर्ति का नियम लागू नहीं हो सकता है. सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. इसकी कीमत की एक सीमा होनी चाहिए. तब केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि इनकी कीमत निर्यातक तय करते हैं. अलग-अलग ब्रांड, साइज इत्यादि के ऑक्सीजन कंसेट्रेटर्स की कीमतें अलग-अलग होती हैं.

तब कोर्ट पूछा कि रेट फिक्स करने का आप कोई फॉर्मूला क्यों नहीं बनाते हैं. इस पर कीर्तिमान सिंह ने कहा कि अधिकतम मूल्य पर हमेशा भ्रम रहता है क्योंकि रेट हमेशा बदलते रहते हैं. जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि ये जवाब नहीं हुआ, इस पर काम कीजिए. हम हाथ हवा में खड़ा कर नहीं कह सकते हैं कि इसका रेट फिक्स नहीं हो सकता है.

जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि कीमत सस्ती होनी चाहिए. किल्लत का फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए. सरकार को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए.

रेट तय करने का फार्मूला तय हो

कीर्तिमान सिंह ने कहा कि उपकरणों की वैश्विक स्तर पर कमी है. अगर आज हम कीमतें तय कर देंगे तो सप्लायर जो भी सप्लाई कर रहे हैं वे नहीं करेंगे. तब कोर्ट ने कहा कि आप किस आधार पर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की रेट तय करेंगे उसका फार्मूला तय कीजिए. आप रुपये पैसे में तय मत कीजिए बल्कि आप रेट तय करने का फार्मूला तय कीजिए. इस पर कीर्तिमान सिंह ने समय देने की मांग की.

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कोर्ट ने कहा कि क्या खरीदना है, उसका इस्तेमाल कैसे करना है उसकी जानकारी होनी चाहिए. आप इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार क्यों नहीं कर रहे हैं. तब कीर्तिमान ने कहा कि केंद्र सरकार के व्यापक प्रचार-प्रसार की वजह से ही आरोग्य सेतु ऐप का इतना इस्तेमाल हो रहा है.

केरल मॉडल पर विचार हो

सुनवाई के दौरान वकील अभय गुप्ता ने केंद्र सरकार से कहा कि आप बहाने मत बनाइए, रेट फिक्स कीजिए. उन्होंने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां अस्पतालों के चार्ज तक फिक्स हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर केरल सरकार अस्पताल के चार्ज तक फिक्स कर सकती है तो दिल्ली में वो मॉडल क्यों नहीं अपनाया जा सकता है.

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जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि आप एक कोरोना किट दे दें और उसके लिए चार्ज करते रहें. तब राहुल मेहरा ने कहा कि इस समय अस्पताल ही एक ऐसा संस्थान है जो व्यवसाय कर रहे हैं. उन्हें अपनी सेवाएं इस महामारी के समय मुफ्त होना चाहिए.

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