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HC: रेप पीड़ितों की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब तलब - दिल्ली रेप पीड़ित पहचान मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़ितों की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और कुछ सोशल मीडिया साईट्स को नोटिस जारी किया है.

Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jan 8, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 2:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़ितों की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और कुछ सोशल मीडिया साईट्स को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया है.

'भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन'

याचिका मनन नरुला ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील जीवेश तिवारी ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया में रेप पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया है. ऐसा कर इन मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया साईट्स ने भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि रेप पीड़िता की पहचान को उजागर कर निपुण सक्सेना के केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है.

यह भी पढ़ें- HC: प्राइवेट हॉस्पिटल में 80% ICU बेड रिजर्व करने के मामले पर सुनवाई टली

'सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन'

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया इत्यादि पर पीड़िता का नाम या पहचान उजागर नहीं करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था. यहां तक कि अगर पीड़िता की मौत हो गई हो तब भी पीड़िता की नजदीकी रिश्तेदार या सेशंस जज की अनुमति के बिना नाम या पहचान उजागर नहीं किया जाए.

FIR भी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए या 376ई के साथ साथ पॉक्सो एक्ट से संबंधित एफआईआर भी सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हैं.

दिशानिर्देश में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़िता से संबंधित सभी दस्तावेज सीलबंद कवर में रखेंगे जिसमें उसका नाम या पहचान उजागर हो रहा हो.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़ितों की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और कुछ सोशल मीडिया साईट्स को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया है.

'भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन'

याचिका मनन नरुला ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील जीवेश तिवारी ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया में रेप पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया है. ऐसा कर इन मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया साईट्स ने भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि रेप पीड़िता की पहचान को उजागर कर निपुण सक्सेना के केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है.

यह भी पढ़ें- HC: प्राइवेट हॉस्पिटल में 80% ICU बेड रिजर्व करने के मामले पर सुनवाई टली

'सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन'

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया इत्यादि पर पीड़िता का नाम या पहचान उजागर नहीं करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था. यहां तक कि अगर पीड़िता की मौत हो गई हो तब भी पीड़िता की नजदीकी रिश्तेदार या सेशंस जज की अनुमति के बिना नाम या पहचान उजागर नहीं किया जाए.

FIR भी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए या 376ई के साथ साथ पॉक्सो एक्ट से संबंधित एफआईआर भी सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हैं.

दिशानिर्देश में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़िता से संबंधित सभी दस्तावेज सीलबंद कवर में रखेंगे जिसमें उसका नाम या पहचान उजागर हो रहा हो.

Last Updated : Jan 8, 2021, 2:22 PM IST
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