नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली में कार्यरत विभिन्न बार संघों को राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसरों में सुरक्षा कड़ी करने के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने सितंबर 2021 में रोहिणी अदालत परिसर में गोलीबारी के बाद शुरू की गई जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. कुछ दिन पहले ही साकेत कोर्ट में सस्पेंडेड वकील ने महिला को गोली मार दी थी.
अदालत ने बुधवार को साकेत अदालत में हुई घटना का संज्ञान लिया और अधिकारियों से कहा कि वे पुलिस के साथ परामर्श करें और दो सप्ताह के भीतर सुरक्षा कड़ी करने के सुझावों पर चर्चा करें. साकेत कोर्ट बार एसोसिएशन के लिए अधिवक्ता केसी मित्तल पेश हुए और कहा कि उन्होंने स्वत: संज्ञान याचिकाओं में सुझाव दिए थे. हालांकि, कुछ सुझावों को लागू किया गया है. फिर भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
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जुलाई में दोबारा होगी सुनवाईः दिल्ली पुलिस की ओर से अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी पेश हुए और कहा कि अदालत के पहले के आदेश के अनुपालन में कदम उठाए हैं. सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने शानदार काम किया है. अदालत ने कहा कि वह जुलाई में इस मामले पर दोबारा विचार करेगी. 21 अप्रैल को कामेश्वर सिंह उर्फ मनोज सिंह नाम के एक प्रतिबंधित वकील ने महिला पर चार राउंड फायरिंग की. दो साल से भी कम समय में दिल्ली के एक अदालत परिसर से गोलीबारी की यह दूसरी घटना थी.
2021 में गैंगस्टर सहित 3 लोगों की हुई थी हत्याः 24 सितंबर 2021 को कथित गैंगस्टर जितेंद्र गोगी सहित तीन लोगों को रोहिणी अदालत परिसर में एक कोर्ट रूम के अंदर कथित तौर पर मार दिया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर कई याचिकाएं दायर की गईं. हाईकोर्ट ने भी इस पर एक स्वत: जनहित याचिका शुरू की और अदालत परिसरों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए पुलिस और अन्य अधिकारियों को कई निर्देश दिए.