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मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई - मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई

मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह के खिलाफ दायर याचिका पर Delhi High Court सुनवाई करेगी. यह याचिका एक 28 वर्षीय मुस्लिम महिला ने दायर किया है. रेशमा ने याचिका में मांग की है कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए.

Delhi High Court
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Published : Aug 23, 2022, 8:23 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह (Polygamy Among Muslims Men) को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच इसकी सुनवाई करेगी.

इस मामले में 2 मई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका 28 वर्षीय एक मुस्लिम महिला रेशमा ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए. याचिकाकर्ता ने इस्लामिक कोड के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने के लिए कानून बनाने का भी अनुरोध किया. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह की प्रथा एक क्रूर परंपरा है और ये महिलाओं का अपमान करने वाला है.

जनहित याचिका में कहा गया है कि शरिया या इस्लामी कानूनों में बहुविवाह की अनुमति असाधारण परिस्थितियों में दी गई है. ये असाधारण परिस्थितियां पहली पत्नी की बीमारी या बांझपन हो सकती है. महिलाओं को सामाजिक और घरेलू अन्याय का शिकार होने से रोकने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को रेफर किया है.

याचिकाकर्ता ने जनवरी 2019 में मोहम्मद शोएब खान से दिल्ली में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी की थी. उसे 11 महीने का एक बच्चा है. उसके पति ने उसे वादा किया कि वो जीवन भर किसी दूसरे से शादी नहीं करेगा. अब उसका पति उसे तलाक देकर दूसरी शादी करना चाहता है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह (Polygamy Among Muslims Men) को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच इसकी सुनवाई करेगी.

इस मामले में 2 मई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका 28 वर्षीय एक मुस्लिम महिला रेशमा ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए. याचिकाकर्ता ने इस्लामिक कोड के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने के लिए कानून बनाने का भी अनुरोध किया. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह की प्रथा एक क्रूर परंपरा है और ये महिलाओं का अपमान करने वाला है.

जनहित याचिका में कहा गया है कि शरिया या इस्लामी कानूनों में बहुविवाह की अनुमति असाधारण परिस्थितियों में दी गई है. ये असाधारण परिस्थितियां पहली पत्नी की बीमारी या बांझपन हो सकती है. महिलाओं को सामाजिक और घरेलू अन्याय का शिकार होने से रोकने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को रेफर किया है.

याचिकाकर्ता ने जनवरी 2019 में मोहम्मद शोएब खान से दिल्ली में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी की थी. उसे 11 महीने का एक बच्चा है. उसके पति ने उसे वादा किया कि वो जीवन भर किसी दूसरे से शादी नहीं करेगा. अब उसका पति उसे तलाक देकर दूसरी शादी करना चाहता है.

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