नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आरोपी को 10 दिनों के लिए अंतरिम जमानत (10 days interim bail) दी, ताकि वह एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए अपनी बेटी की फीस (college fees of daughter)के भुगतान की व्यवस्था कर सके. एकल-पीठ के न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने तर्क दिया कि आरोपी व्यक्ति के अपराधों के लिए परिवार को पीड़ित नहीं बनाया जाना चाहिए. "..इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को अपनी बेटी के प्रवेश शुल्क के भुगतान की व्यवस्था करनी है और परिवार को उसके कृत्यों के लिए पीड़ित नहीं होना चाहिए, कोर्ट उसे दस दिनों की अवधि के लिए अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक है.
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अभियोन पक्ष ने घोषित भगोड़ा बताकर किया विरोध : कोर्ट ने 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत किसी भी परिस्थिति में नहीं बढ़ाई जाएगी और याचिकाकर्ता को दस दिन पूरे होने पर सरेंडर करना होगा. याचिकाकर्ता पर धारा 25 (आर्म्स एक्ट के तहत अपराधों के लिए सजा), 27 (हथियारों का उपयोग करने की सजा), 54 (आर्म्स लाइसेंस का नवीनीकरण), और आर्म्स एक्ट की 59 के तहत अपराधों का आरोप लगाया गया है, वह पिछले नौ महीने से न्यायिक हिरासत में है. उसने यह कहते हुए राहत मांगी कि उसे अपनी बेटी के प्रवेश शुल्क के भुगतान की व्यवस्था करनी है. अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को वर्तमान मामले में भगोड़ा घोषित किया गया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया.
जमानत देने साथ लगाई शर्तें : कोर्ट ने 13 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की बेटी की फीस की व्यवस्था करने की आवश्यकता के दावे को सत्यापित करने के लिए स्थिति रिपोर्ट मांगी थी. उसके अनुसरण में, अदालत के समक्ष रिपोर्ट दायर की गई जिसमें याचिकाकर्ता की बेटी के दाखिले के तथ्य को सत्यापित किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेटी के प्रवेश के लिए एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश शुल्क के भुगतान की अंतिम तिथि 15 नवंबर, 2022 है. इसलिए, न्यायालय ने निर्देश दिया कि आरोपी को निम्नलिखित शर्तों के अधीन दस दिनों के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए:-
i) याचिकाकर्ता अपनी रिहाई के एक दिन के भीतर अपना मोबाइल नंबर जांच अधिकारी के साथ साझा करेगा और मोबाइल लोकेशन ऐप को हर समय चालू रखेगा.
(ii) वह वर्तमान मामले में गवाहों से संपर्क करने, मजबूर करने या धमकी देने की कोशिश नहीं करेगा.
(iii) इस अवधि के दौरान जब उसका मामला सूचीबद्ध होगा तो वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा.
(iv) वह अवधि की समाप्ति पर आत्मसमर्पण करेगा.
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