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दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप की शिकार महिला को 20 हफ्ते का भ्रूण हटाने की अनुमति दी

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार एक महिला के 20 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. AIIMS के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने ये आदेश दिया.

दिल्ली हाई कोर्ट
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Published : Sep 27, 2021, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार एक महिला के 20 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. AIIMS के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने ये आदेश दिया.


AIIMS के मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि पीड़िता महिला का भ्रूण 24 सितंबर तक 20 हफ्ते से ज्यादा का है. AIIMS ने कहा कि पीड़िता को दूसरी कोई बीमारी नहीं है, महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला ने भ्रूण हटाने की सहमति दी. कोर्ट ने भ्रूण का DNA टेस्ट के लिए संरक्षित रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने AIIMS को आज ही पीड़िता का भ्रूण हटाने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली की निचली अदालतों में पर्याप्त सुरक्षा की मांग पर 29 सितंबर को सुनवाई करेगा हाई कोर्ट

कोर्ट ने 23 सितंबर को AIIMS अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था कि वो पीड़िता की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करें. महिला की ओर से वकील अनवेश मधुकर और प्राची निर्वाण ने कोर्ट से कहा था कि महिला के साथ रेप की शिकायत 23 जून को गोविंदपुरी थाना क्षेत्र में की गई थी. जब महिला को पता चला कि वह गर्भवती है तो उसने भ्रूण को हटाना चाहा. इसके लिए उसने AIIMS अस्पताल का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन AIIMS ने भ्रूण हटाने से इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ें- रेप पीड़ित महिला ने की भ्रूण हटाने की मांग, एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश

कोर्ट ने कहा था कि महिला का भ्रूण 20 हफ्ते का है. इसलिए इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि पीड़िता भ्रूण हटाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सके. उसके बाद कोर्ट ने AIIMS को निर्देश दिया कि 24 सितंबर तक जांच करें कि भ्रूण हटाने से महिला को कोई नुकसान तो नहीं होगा.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार एक महिला के 20 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. AIIMS के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने ये आदेश दिया.


AIIMS के मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि पीड़िता महिला का भ्रूण 24 सितंबर तक 20 हफ्ते से ज्यादा का है. AIIMS ने कहा कि पीड़िता को दूसरी कोई बीमारी नहीं है, महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला ने भ्रूण हटाने की सहमति दी. कोर्ट ने भ्रूण का DNA टेस्ट के लिए संरक्षित रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने AIIMS को आज ही पीड़िता का भ्रूण हटाने का निर्देश दिया.

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कोर्ट ने 23 सितंबर को AIIMS अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था कि वो पीड़िता की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करें. महिला की ओर से वकील अनवेश मधुकर और प्राची निर्वाण ने कोर्ट से कहा था कि महिला के साथ रेप की शिकायत 23 जून को गोविंदपुरी थाना क्षेत्र में की गई थी. जब महिला को पता चला कि वह गर्भवती है तो उसने भ्रूण को हटाना चाहा. इसके लिए उसने AIIMS अस्पताल का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन AIIMS ने भ्रूण हटाने से इनकार कर दिया.

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कोर्ट ने कहा था कि महिला का भ्रूण 20 हफ्ते का है. इसलिए इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि पीड़िता भ्रूण हटाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सके. उसके बाद कोर्ट ने AIIMS को निर्देश दिया कि 24 सितंबर तक जांच करें कि भ्रूण हटाने से महिला को कोई नुकसान तो नहीं होगा.

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