नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक लाख से ज्यादा छात्रों को केवल दो घंटे या एक दिन छोड़कर पढ़ाये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये काफी चिंताजनक है कि कमजोर वर्ग के बच्चे जो हमारे देश का भविष्य हैं, उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या और हर क्लास का ब्रेकअप विस्तार से हलफनामा के जरिए तीन हफ्ते में दाखिल करने का निर्देश दिया है. हलफनामा में सभी बच्चों की समुचित शिक्षा कैसे दी जाएगी, इसका विस्तृत विवरण देने को कहा गया है. हलफनामा में क्लास रुम की संख्या, शिक्षकों की संख्या इत्यादि की जानकारी भी देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.
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कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल हलफनामा निराशा पैदा करती है. दिल्ली सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि श्रीराम कॉलोनी के खजूरी चौक पर एक नया स्कूल भवन बनाया जा रहा है, जिसका अधिग्रहण 31 जनवरी 2024 तक कर लिया जाएगा. हलफनामे में कहा गया है कि इस नये स्कूल में आसपास के बच्चों को शिफ्ट किया जाएगा.
याचिका सोशल जूरिस्ट नामक संगठन की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 48 स्कूलों के एक लाख 48 हजार से ज्यादा बच्चों को 25 स्कूलों के पढ़ाया जा रहा है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्कूलों में खासकर खजूरी खास, तकमीरपुर, सोनिया विहार, सभापुर और करावलनगर के स्कूलों में छात्रों के दाखिले काफी ज्यादा संख्या में हुए हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को केवल दो घंटे या एक दिन छोड़कर पढ़ाया जा रहा है.
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