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दिल्ली HC ने जेल अधिकारियों के लिए वर्कशॉप आयोजित करने का दिया निर्देश, जानिए क्यों - तिहाड़ जेल के अधिकारी

दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद एक कैदी को जमानत मिलने के दस दिनों के बाद रिहा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वे जेल अधीक्षकों, उप जेल अधीक्षकों और सहायक जेल अधीक्षकों को अपने कर्तव्यों और अधिकारों को लेकर विशेष ट्रेनिंग आयोजित करें.

delhi high court
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Published : Aug 7, 2020, 12:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वे जेल अधीक्षकों, उप जेल अधीक्षकों और सहायक जेल अधीक्षकों को अपने कर्तव्यों और अधिकारों को लेकर विशेष ट्रेनिंग आयोजित करें. तिहाड़ जेल में बंद एक कैदी को जमानत मिलने के दस दिनों के बाद रिहा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया.

दिल्ली HC ने जेल अधिकारियों के लिए वर्कशॉप आयोजित करने का दिया निर्देश



जेल महानिदेशक ने मांगी माफी

जेल महानिदेशक संदीप गोयल की ओर से वकील राहुल मेहरा ने एक स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपते हुए कोर्ट से माफी मांगी. जेल महानिदेशक ने कहा कि पिछले तीन सालों में कम से कम डेढ़ लाख कैदी रिहा किए गए. इन कैदियों का डाटा एकत्र करना कठिन काम है. इसके लिए समय चाहिए. सुनवाई के दौरान संदीप गोयल ने कहा कि कैदियों के हिरासत में रखने और रिहा करने के मामले पर औचक निरीक्षण करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है.


संबंधित अफसर की जिम्मेदारी तय होगी

जेल महानिदेशक ने कहा कि एक सर्कुलर जारी किया गया है जिसमें सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि बिना वैध वजह के किसी भी कैदी को हिरासत में न रखा जाए. सर्कुलर में इसके लिए संबंधित अफसर की जिम्मेदारी तय होगी. उन्होंने कहा कि जेल विभाग की समीक्षा के बाद सुधार की जरुरत पर जोर दिया गया है. जेल के अफसरों को कानूनी सलाह देने के लिए संविदा पर 14 लॉ अफसरों को नियुक्त किया गया है. उसके बाद कोर्ट ने जेल में तैनात सभी अफसरों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की ओर से आयोजित आनलाइन वर्कशॉप में हिस्सा लें. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.


तीन साल का रिपोर्ट तलब किया था

पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने जेल महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह एक कैदी को 10 दिनों तक गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखे जाने के मामले की जांच करें. हाईकोर्ट ने जेल महानिदेशक से पूछा था कि पिछले 3 साल में कितनी बार ऐसा हुआ, जब हिरासत में कैद व्यक्ति को अदालत से जमानत मिलने के बाद भी उसे 24 घंटे के अंदर रिहा नहीं किया गया. कोर्ट ने जेल महानिदेशक से इसका कारण बताने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसे व्यक्ति को कितने दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया इसका विवरण भी रिपोर्ट में दें.



गैरकानूनी रुप से हिरासत में रखने का आरोप

याचिका संजय सिंह ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है जेल प्रशासन ने उसे कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद पिछले 15 जून से 25 जून के बीच गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा. सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन ने कहा कि याचिकाकर्ता को मौजूदा मामले में जमानत मिलने के बाद भी इसलिए दिया नहीं किया जा सका क्योंकि वह दूसरे मामले में न्यायिक हिरासत में था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वे जेल अधीक्षकों, उप जेल अधीक्षकों और सहायक जेल अधीक्षकों को अपने कर्तव्यों और अधिकारों को लेकर विशेष ट्रेनिंग आयोजित करें. तिहाड़ जेल में बंद एक कैदी को जमानत मिलने के दस दिनों के बाद रिहा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया.

दिल्ली HC ने जेल अधिकारियों के लिए वर्कशॉप आयोजित करने का दिया निर्देश



जेल महानिदेशक ने मांगी माफी

जेल महानिदेशक संदीप गोयल की ओर से वकील राहुल मेहरा ने एक स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपते हुए कोर्ट से माफी मांगी. जेल महानिदेशक ने कहा कि पिछले तीन सालों में कम से कम डेढ़ लाख कैदी रिहा किए गए. इन कैदियों का डाटा एकत्र करना कठिन काम है. इसके लिए समय चाहिए. सुनवाई के दौरान संदीप गोयल ने कहा कि कैदियों के हिरासत में रखने और रिहा करने के मामले पर औचक निरीक्षण करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है.


संबंधित अफसर की जिम्मेदारी तय होगी

जेल महानिदेशक ने कहा कि एक सर्कुलर जारी किया गया है जिसमें सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि बिना वैध वजह के किसी भी कैदी को हिरासत में न रखा जाए. सर्कुलर में इसके लिए संबंधित अफसर की जिम्मेदारी तय होगी. उन्होंने कहा कि जेल विभाग की समीक्षा के बाद सुधार की जरुरत पर जोर दिया गया है. जेल के अफसरों को कानूनी सलाह देने के लिए संविदा पर 14 लॉ अफसरों को नियुक्त किया गया है. उसके बाद कोर्ट ने जेल में तैनात सभी अफसरों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की ओर से आयोजित आनलाइन वर्कशॉप में हिस्सा लें. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.


तीन साल का रिपोर्ट तलब किया था

पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने जेल महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह एक कैदी को 10 दिनों तक गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखे जाने के मामले की जांच करें. हाईकोर्ट ने जेल महानिदेशक से पूछा था कि पिछले 3 साल में कितनी बार ऐसा हुआ, जब हिरासत में कैद व्यक्ति को अदालत से जमानत मिलने के बाद भी उसे 24 घंटे के अंदर रिहा नहीं किया गया. कोर्ट ने जेल महानिदेशक से इसका कारण बताने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसे व्यक्ति को कितने दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया इसका विवरण भी रिपोर्ट में दें.



गैरकानूनी रुप से हिरासत में रखने का आरोप

याचिका संजय सिंह ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है जेल प्रशासन ने उसे कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद पिछले 15 जून से 25 जून के बीच गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा. सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन ने कहा कि याचिकाकर्ता को मौजूदा मामले में जमानत मिलने के बाद भी इसलिए दिया नहीं किया जा सका क्योंकि वह दूसरे मामले में न्यायिक हिरासत में था.

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