नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में दस्तावेजों के ई-रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को इस बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा कि दिल्ली में दस्तावेजों का ई-रजिस्ट्रेशन का सिस्टम क्यों नहीं बनाया जा सकता है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जब दूसरे राज्य ऐसा कर रहे हैं तो दिल्ली में क्यों नहीं हो सकता.
पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा था कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन इंफॉर्मेशन सिस्टम पहले से मौजूद है. जिसके जरिये दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. दिल्ली सरकार ने कहा कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन को पूरे तरीके से आनलाइन करने में कुछ समस्याएं हैं.
महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में आनलाईन रजिस्ट्रेशन
याचिका वकील गौरव गंभीर ने दायर की है. याचिका में कहा गया है दिल्ली सरकार की ओर से जो कदम उठाए गए हैं, उसमें दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए सब-रजिस्ट्रार दफ्तर से एप्वाइंटमेंट लिया जाता है. जब सब-रजिस्ट्रार दफ्तर जाते हैं तो कहा जाता है रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है. याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में आनलाईन रजिस्ट्रेशन का काम चल रहा है. इन राज्यों में सब-रजिस्ट्रार दफ्तर जाने की जरूरत नहीं होती है.
दिल्ली में 22 सब-रजिस्ट्रार
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में 22 सब रजिस्ट्रार दफ्तर हैं, जहां संपत्ति के दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. याचिका में कहा गया था कि एक सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में रोजाना औसतन कम से कम तीन सौ लोग अपनी संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए आते हैं. हर संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में कम से कम दो पक्षकार और दो गवाह होते हैं. जिसकी वजह से सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में पहुंचने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक हो जाती है. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने से वर्तमान संकट में कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना ज्यादा है.
ई-रजिस्ट्रेशन के जरिये दस्तावेजों की रजिस्ट्री की मांग
याचिका में कहा गया था कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए पक्षकारों की वर्चुअल कराए जाने से कोरोना के संक्रमण का खतरा नहीं होगा. अगर ई-रजिस्ट्रेशन के जरिये दस्तावेजों की रजिस्ट्री कराई जाएगी तो सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में लोग कम संख्या में आएंगे. याचिका में कहा गया था कि वसीयतनामा जैसे गोपनीय दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए लोगों की उपस्थिति जरुरी होती है लेकिन इसे भी वर्चुअल करने की प्रक्रिया बनाई जा सकती है.