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Delhi High Court: EWS छात्रों को नकद पैसे देने के बजाय यूनिफार्म उपलब्ध कराएं दिल्ली सरकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्चों को स्कूल ड्रेस देने के बदले पैसा देने पर सरकार को फटकार लगाई. गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि सरकार स्कूली छात्रों को यूनिफॉर्म मुहैया करानी चाहिए न कि इसके बदले नकद पैसे. जानिए क्या है पूरा मामला...

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Apr 13, 2023, 5:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के स्कूली छात्रों को यूनिफॉर्म मुहैया करानी चाहिए न कि इसके बदले नकद पैसे. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगस्त 2014 में दिल्ली सरकार से कहा था कि वह छात्रों को ड्रेस दें न कि नकद. कोर्ट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचित समूहों से संबंधित छात्रों को संसाधनों की आपूर्ति और बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों और दिल्ली अधिकार के प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित दलीलों पर बैच सुनवाई कर रही थी.

दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार किताबें और अध्ययन सामग्री दे रही है. अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को ड्रेस भी देगी. अगले साल से स्कूलों के प्रमुख अधिकारियों द्वारा अनुमोदित लागत पर बाजार से यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं. तब तक सरकार इसके लिए नकद पैसे दे रही है. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको नकद भुगतान नहीं करना चाहिए. यह आदेश के अनुपालन में नहीं है.

प्राइवेट स्कूल कर सकते हैं तो सरकार क्यों नहींः वहीं, कुछ निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कमल गुप्ता ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों को सालाना 1,500 रुपये की मामूली राशि दी जाती है. जिससे बच्चों का मजाक बनाता है. वकील ने कहा कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को भी इतनी ही राशि दी गई थी. यह कहते हुए कि दिल्ली विशेष नहीं है और ईडब्ल्यूएस छात्रों को सहायता देने पर कानून के शासनादेश का पालन करना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः Lalit Modi Apologize: SC ने ललित मोदी को माफी मांगने का दिया निर्देश

अदालत ने पूछा कि जब कुछ स्कूल ईडब्ल्यूएस छात्रों को ड्रेस दे रहे थे तो सरकार क्यों नहीं कर सकती. पीठ के दूसरे जज न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि ड्रेस की आपूर्ति की जाए. हम इसकी निगरानी करेंगे. बता दें, इससे पहले अगस्त 2014 में हाईकोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार और स्कूलों का कर्तव्य था कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, ड्रेस आदि उपलब्ध कराई जाएं. तब यह नोट किया गया था कि सत्र 2014-15 में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 68,951 ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों में से लगभग 51,000 बच्चे पाठ्य पुस्तकों और यूनिफॉर्म के बिना थे. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य थी.

यह भी पढ़ेंः Fire in CNG Bus: गोकलपुरी में DTC की बस में लगी भयंकर आग

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के स्कूली छात्रों को यूनिफॉर्म मुहैया करानी चाहिए न कि इसके बदले नकद पैसे. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगस्त 2014 में दिल्ली सरकार से कहा था कि वह छात्रों को ड्रेस दें न कि नकद. कोर्ट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचित समूहों से संबंधित छात्रों को संसाधनों की आपूर्ति और बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों और दिल्ली अधिकार के प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित दलीलों पर बैच सुनवाई कर रही थी.

दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार किताबें और अध्ययन सामग्री दे रही है. अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को ड्रेस भी देगी. अगले साल से स्कूलों के प्रमुख अधिकारियों द्वारा अनुमोदित लागत पर बाजार से यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं. तब तक सरकार इसके लिए नकद पैसे दे रही है. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको नकद भुगतान नहीं करना चाहिए. यह आदेश के अनुपालन में नहीं है.

प्राइवेट स्कूल कर सकते हैं तो सरकार क्यों नहींः वहीं, कुछ निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कमल गुप्ता ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों को सालाना 1,500 रुपये की मामूली राशि दी जाती है. जिससे बच्चों का मजाक बनाता है. वकील ने कहा कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को भी इतनी ही राशि दी गई थी. यह कहते हुए कि दिल्ली विशेष नहीं है और ईडब्ल्यूएस छात्रों को सहायता देने पर कानून के शासनादेश का पालन करना चाहिए.

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अदालत ने पूछा कि जब कुछ स्कूल ईडब्ल्यूएस छात्रों को ड्रेस दे रहे थे तो सरकार क्यों नहीं कर सकती. पीठ के दूसरे जज न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि ड्रेस की आपूर्ति की जाए. हम इसकी निगरानी करेंगे. बता दें, इससे पहले अगस्त 2014 में हाईकोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार और स्कूलों का कर्तव्य था कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, ड्रेस आदि उपलब्ध कराई जाएं. तब यह नोट किया गया था कि सत्र 2014-15 में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 68,951 ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों में से लगभग 51,000 बच्चे पाठ्य पुस्तकों और यूनिफॉर्म के बिना थे. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य थी.

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