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सुब्रमण्यम स्वामी की सुरक्षा वापस न मिलने का मामला, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब - दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को जेड सिक्योरिटी सुरक्षा दोबारा नहीं मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने केंद्र को 3 नवंबर को अपना जवाब देने का निर्देश दिया है.

subrhmanyam swami security
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Published : Oct 31, 2022, 1:01 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को जेड सिक्योरिटी सुरक्षा दोबारा नहीं मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 3 नवंबर को केंद्र सरकार से अपना जबाव दाखिल करने का निर्देश दिया है. स्वामी ने अपने सरकारी आवास को खाली करने के बाद निजी आवास पर जेड सिक्योरिटी सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. कोर्ट ने मामले में केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को तथ्यपरक जवाब देने को लेकर भी सचेत किया.

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने केंद्र सरकार को मामले में 3 नवंबर को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इससे पहले स्वामी की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि 27 अक्टूबर को केंद्र सरकार की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्यवेक्षक उनके घर पहुंचे थे. यह उनकी याचिका दाखिल करने के बाद पहली बार था. इस पर जवाब देते हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि यह त्योहार का सीजन था जिसकी वजह से अलग-अलग जगह पर फोर्स लगानी थी इसी के चलते सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकी, जिसके बाद पीठ ने एएसजी को तथ्यपरक बातें पटल पर रखने को कहा.

ये भी पढ़ें: बंगला खाली कराने के आदेश पर सुब्रमण्यम स्वामी ने खटखटाया दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा, दाखिल की याचिका

कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से पूछा कि क्या आप एक जगह की सुरक्षा उठाकर दूसरी जगह पर लगा देते हैं. ऐसे जनरल स्टेटमेंट कोर्ट की कार्यवाही में इस्तेमाल ना करें. कोर्ट ने मामले को 3 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है. बता दे स्वामी को जनवरी 2016 में 5 साल के लिए केंद्र द्वारा दिल्ली में एक बंगला आवंटित किया गया था. वह अपने पूरे राज्यसभा कार्यकाल के दौरान वहीं रहे, जो अप्रैल 2022 में समाप्त हो गया. चूंकि उन्हें परिसर खाली करना था, स्वामी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उन्हें लगातार सुरक्षा खतरे को देखते हुए बंगले के पुन: आवंटन की मांग की.

हालांकि, केंद्र ने बुधवार को याचिका का विरोध करते हुए कहा कि भले ही स्वामी के प्रति सुरक्षा धारणा को कम नहीं किया गया है, लेकिन सरकार पर उन्हें सुरक्षा कवर के साथ आवास प्रदान करने का कोई दायित्व नहीं है. एएसजी संजय जैन केंद्र की ओर से पेश हुए और कहा कि सरकार वरिष्ठ नेता को समय-समय पर समीक्षा के अधीन सुरक्षा प्रदान करती रहेगी, लेकिन बंगले को फिर से आवंटित करना संभव नहीं होगा. जैन ने अदालत से कहा कि उनका दिल्ली में एक घर है जहां वह शिफ्ट हो सकते हैं और सुरक्षा एजेंसियां ​​वहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगी. स्वामी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता पेश हुए और तर्क दिया कि उनके लिए सुरक्षा खतरे को ध्यान में रखते हुए, पूर्व सांसद के साथ हर समय सुरक्षा कर्मियों को समायोजित करने के लिए घर की आवश्यकता है. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें आवास खाली करने का निर्देश दिया था.

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नई दिल्ली: पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को जेड सिक्योरिटी सुरक्षा दोबारा नहीं मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 3 नवंबर को केंद्र सरकार से अपना जबाव दाखिल करने का निर्देश दिया है. स्वामी ने अपने सरकारी आवास को खाली करने के बाद निजी आवास पर जेड सिक्योरिटी सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. कोर्ट ने मामले में केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को तथ्यपरक जवाब देने को लेकर भी सचेत किया.

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने केंद्र सरकार को मामले में 3 नवंबर को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इससे पहले स्वामी की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि 27 अक्टूबर को केंद्र सरकार की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्यवेक्षक उनके घर पहुंचे थे. यह उनकी याचिका दाखिल करने के बाद पहली बार था. इस पर जवाब देते हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि यह त्योहार का सीजन था जिसकी वजह से अलग-अलग जगह पर फोर्स लगानी थी इसी के चलते सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकी, जिसके बाद पीठ ने एएसजी को तथ्यपरक बातें पटल पर रखने को कहा.

ये भी पढ़ें: बंगला खाली कराने के आदेश पर सुब्रमण्यम स्वामी ने खटखटाया दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा, दाखिल की याचिका

कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से पूछा कि क्या आप एक जगह की सुरक्षा उठाकर दूसरी जगह पर लगा देते हैं. ऐसे जनरल स्टेटमेंट कोर्ट की कार्यवाही में इस्तेमाल ना करें. कोर्ट ने मामले को 3 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है. बता दे स्वामी को जनवरी 2016 में 5 साल के लिए केंद्र द्वारा दिल्ली में एक बंगला आवंटित किया गया था. वह अपने पूरे राज्यसभा कार्यकाल के दौरान वहीं रहे, जो अप्रैल 2022 में समाप्त हो गया. चूंकि उन्हें परिसर खाली करना था, स्वामी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उन्हें लगातार सुरक्षा खतरे को देखते हुए बंगले के पुन: आवंटन की मांग की.

हालांकि, केंद्र ने बुधवार को याचिका का विरोध करते हुए कहा कि भले ही स्वामी के प्रति सुरक्षा धारणा को कम नहीं किया गया है, लेकिन सरकार पर उन्हें सुरक्षा कवर के साथ आवास प्रदान करने का कोई दायित्व नहीं है. एएसजी संजय जैन केंद्र की ओर से पेश हुए और कहा कि सरकार वरिष्ठ नेता को समय-समय पर समीक्षा के अधीन सुरक्षा प्रदान करती रहेगी, लेकिन बंगले को फिर से आवंटित करना संभव नहीं होगा. जैन ने अदालत से कहा कि उनका दिल्ली में एक घर है जहां वह शिफ्ट हो सकते हैं और सुरक्षा एजेंसियां ​​वहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगी. स्वामी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता पेश हुए और तर्क दिया कि उनके लिए सुरक्षा खतरे को ध्यान में रखते हुए, पूर्व सांसद के साथ हर समय सुरक्षा कर्मियों को समायोजित करने के लिए घर की आवश्यकता है. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें आवास खाली करने का निर्देश दिया था.

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