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दिल्ली HC ने VHP के कार्यकारी अध्यक्ष के खिलाफ FIR के आदेश पर लगाई रोक

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Published : Jul 21, 2023, 3:31 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने VHP के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के खिलाफ एफआईआर करने का निर्देश देने वाला ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द किया. कोर्ट ने कहा कि आलोक कुमार के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि आलोक कुमार के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. न्यायालय ने कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि आलोक कुमार ने सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काया था. न्यायमूर्ति शर्मा ने निचली अदालत के न्यायाधीशों को आगाह किया कि वे ऐसे आदेश पारित करते समय सावधान रहें क्योंकि इससे सांप्रदायिक वैमनस्य भड़क सकता है.

इसे भी पढ़ें: बजरंग-विनेश को ट्रायल में छूट देने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने WFI से मांगा जवाब, कल होगी सुनवाई

बात दें कि अदालत आलोक कुमार की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 18 फरवरी, 2020 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पुलिस को दिल्ली के लाल कुआं इलाके में हिंसा भड़काने के लिए उनके और काशी के एक स्वामीजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था. ट्रायल कोर्ट ने कार्यकर्ता हर्ष मंदर की शिकायत पर यह आदेश दिया था. मंदर ने अपनी शिकायत में कहा था कि जुलाई 2019 में लाल कुआं, हौज काजी इलाके में एक मंदिर में तोड़फोड़ के बाद कुमार और स्वामीजी ने कुछ भाषण दिया था. अपनी याचिका में आलोक कुमार ने कहा था कि वह उस रैली में भी मौजूद नहीं थे जहां कथित भाषण दिए गए थे.

इसे भी पढ़ें: बलात्कार पीड़िता से शादी करना व एफआईआर रद्द होने पर उसे छोड़ देने का चिंताजनक पैटर्न सामने आ रहा है: दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि आलोक कुमार के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. न्यायालय ने कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि आलोक कुमार ने सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काया था. न्यायमूर्ति शर्मा ने निचली अदालत के न्यायाधीशों को आगाह किया कि वे ऐसे आदेश पारित करते समय सावधान रहें क्योंकि इससे सांप्रदायिक वैमनस्य भड़क सकता है.

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बात दें कि अदालत आलोक कुमार की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 18 फरवरी, 2020 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पुलिस को दिल्ली के लाल कुआं इलाके में हिंसा भड़काने के लिए उनके और काशी के एक स्वामीजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था. ट्रायल कोर्ट ने कार्यकर्ता हर्ष मंदर की शिकायत पर यह आदेश दिया था. मंदर ने अपनी शिकायत में कहा था कि जुलाई 2019 में लाल कुआं, हौज काजी इलाके में एक मंदिर में तोड़फोड़ के बाद कुमार और स्वामीजी ने कुछ भाषण दिया था. अपनी याचिका में आलोक कुमार ने कहा था कि वह उस रैली में भी मौजूद नहीं थे जहां कथित भाषण दिए गए थे.

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