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HC में दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने की मांग पर सुनवाई आज

पिछली 7 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग गरीबों को मुफ्त में वैसे ही राशन उपलब्ध कराया जाए, जैसे कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराया गया. हाईकोर्ट इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा.

welfare schemes to specially abled persons
दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ
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Published : Sep 7, 2020, 11:15 AM IST

नई दिल्ली: हाईकोर्ट दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड ने दायर किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट में होगी सुनवाई
खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई सरोकार नहीं


पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वो ये कैसे कह सकती है कि खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि इस कानून का उद्देश्य ही गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना था.

सुनवाई के दौरान खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय की ओर से वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई सरोकार नहीं है. इसका लक्ष्य देश की 67 फीसदी आबादी को भोजन उपलब्ध कराना है. उस 67 फीसदी की आबादी में दिव्यांग भी शामिल हैं. इसलिए दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं में पांच फीसदी का अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है.


सर्टिफिकेट के आधार पर दिव्यांगों को राशन बांटें


कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का मतलब प्राथमिकता देना है. इसमें प्राथमिकता देना कहीं नहीं है. आप ये समझ रहे हैं कि दिव्यांग लोगों को राशनकार्ड बनवाना बाकी लोगों की तरह ही आसान है. कोर्ट ने कहा था कि सरकार दिव्यांगों को सर्टिफिकेट जारी करती है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिव्यांगों को उनके सर्टिफिकेट के आधार पर अनाज देने पर विचार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जब दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर आप राशन बांटें, उसी समय उनका राशन कार्ड भी बना दें.


'दिव्गांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता'


पिछले 29 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था। पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि दिव्गांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. कोर्ट ने कहा था कि अगर केंद्र को इस सच्चाई का पता नहीं है तो हम बता रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इसमें बहस की कोई गुंजाईश नहीं है कि दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि शुरु में दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर दिव्यांगों को एक महीने का राशन उपलब्ध कराए. उन दिव्यांगों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें राशन कार्ड उपलब्ध कराने की कोशिश की जाए.

उसके बाद दिव्यांगों को राशन कार्ड के आधार पर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन दिया जाए. कोर्ट के इस सुझाव के बाद केंद्र सरकार की ओर से वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा था कि वो इन सुझावों पर केंद्र सरकार का निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगी.


प्रवासी मजदूरों की तरह दिव्यांगों को राशन उपलब्ध कराएं


पिछले 7 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग गरीबों को मुफ्त में वैसे ही राशन उपलब्ध कराया जाए, जैसे कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराया गया.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील संतोष रूंगटा ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दिव्यांगों को उनके प्रमाण पत्र या आधार कार्ड के जरिए मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी करे. याचिका में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा कानून की धारा 1 और 10 के तहत दिव्यांग जनों को 5 फ़ीसदी इसका लाभ दिए जाने का प्रावधान है.


गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगों को 3 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान


याचिका में कहा गया है कि दिव्यांगजन समाज के वंचित तबकों में से एक हैं और उन्हें अपनी जीविका के लिए काफी कम अवसर प्राप्त होते हैं. इसलिए उन्हें अंत्योदय अन्न योजना और खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बाहर करना खाद्य सुरक्षा कानून के उद्देश्यों के विरुद्ध है. याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ पर्सन विथ डिसेबिलिटी एक्ट के तहत ये प्रावधान है की सरकार की सभी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगों को 3 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड ने दायर किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट में होगी सुनवाई
खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई सरोकार नहीं


पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वो ये कैसे कह सकती है कि खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि इस कानून का उद्देश्य ही गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना था.

सुनवाई के दौरान खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय की ओर से वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा कानून का गरीबी उन्मूलन से कोई सरोकार नहीं है. इसका लक्ष्य देश की 67 फीसदी आबादी को भोजन उपलब्ध कराना है. उस 67 फीसदी की आबादी में दिव्यांग भी शामिल हैं. इसलिए दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं में पांच फीसदी का अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है.


सर्टिफिकेट के आधार पर दिव्यांगों को राशन बांटें


कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का मतलब प्राथमिकता देना है. इसमें प्राथमिकता देना कहीं नहीं है. आप ये समझ रहे हैं कि दिव्यांग लोगों को राशनकार्ड बनवाना बाकी लोगों की तरह ही आसान है. कोर्ट ने कहा था कि सरकार दिव्यांगों को सर्टिफिकेट जारी करती है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिव्यांगों को उनके सर्टिफिकेट के आधार पर अनाज देने पर विचार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जब दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर आप राशन बांटें, उसी समय उनका राशन कार्ड भी बना दें.


'दिव्गांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता'


पिछले 29 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था। पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि दिव्गांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. कोर्ट ने कहा था कि अगर केंद्र को इस सच्चाई का पता नहीं है तो हम बता रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इसमें बहस की कोई गुंजाईश नहीं है कि दिव्यांगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि शुरु में दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर दिव्यांगों को एक महीने का राशन उपलब्ध कराए. उन दिव्यांगों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें राशन कार्ड उपलब्ध कराने की कोशिश की जाए.

उसके बाद दिव्यांगों को राशन कार्ड के आधार पर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन दिया जाए. कोर्ट के इस सुझाव के बाद केंद्र सरकार की ओर से वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा था कि वो इन सुझावों पर केंद्र सरकार का निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगी.


प्रवासी मजदूरों की तरह दिव्यांगों को राशन उपलब्ध कराएं


पिछले 7 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग गरीबों को मुफ्त में वैसे ही राशन उपलब्ध कराया जाए, जैसे कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराया गया.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील संतोष रूंगटा ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दिव्यांगों को उनके प्रमाण पत्र या आधार कार्ड के जरिए मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी करे. याचिका में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा कानून की धारा 1 और 10 के तहत दिव्यांग जनों को 5 फ़ीसदी इसका लाभ दिए जाने का प्रावधान है.


गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगों को 3 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान


याचिका में कहा गया है कि दिव्यांगजन समाज के वंचित तबकों में से एक हैं और उन्हें अपनी जीविका के लिए काफी कम अवसर प्राप्त होते हैं. इसलिए उन्हें अंत्योदय अन्न योजना और खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बाहर करना खाद्य सुरक्षा कानून के उद्देश्यों के विरुद्ध है. याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ पर्सन विथ डिसेबिलिटी एक्ट के तहत ये प्रावधान है की सरकार की सभी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगों को 3 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा.

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