नई दिल्लीः कोरोना महामारी के चलते 20 अप्रैल से अतिथि शिक्षकों का अनुबंध समाप्त कर दिया गया था. वहीं बेरोजगार बैठे करीब 22 हजार शिक्षकों के हित को लेकर जीएसटीए ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर उनसे अतिथि शिक्षकों को प्रतिमाह 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की थी. वहीं इस पर अतिथि शिक्षकों ने असहमति जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हम अपना अधिकार चाहते हैं किसी तरह की भीख नहीं. ऐसे में महामारी को देखते हुए शिक्षा विभाग हमें पुनः नियुक्ति दें, जिससे कि हम अपने परिवार का सही से पालन पोषण कर सकें.
'भत्ता नहीं अपना हक चाहिए'
वहीं एक अतिथि शिक्षक का कहना है कि हमें सरकार से 15 हजार की भीख नहीं चाहिए, बल्कि अपना अधिकार चाहिए. वह अधिकार जो हम बच्चों को पढ़ा कर प्राप्त करते हैं. उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों को फिर से जॉइनिंग दी जाए जिससे वह अपना रोजगार जारी रख सके. वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षक का कहना है कि 15 हजार में आज के समय में कुछ नहीं होता. यदि सरकार वेतन देना ही चाहती है, तो जो भी हमारे वेतन की राशि बनती है, वही हमें दी जाए.
यह भी पढ़ेंः-कोरोना काल में अतिथि शिक्षकों पर आजीविका का संकट, बोले सरकार ने हमें छोड़ा राम भरोसे
'नौकरी पर पुनः नियुक्ति दी जाए'
वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षक का कहना है कि इतने सालों से हम दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में महामारी के समय में जब रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस समय बेरोजगार करके घर बिठा देना पूरी तरह से गलत है. जहां आय के अन्य साधन नहीं है ऐसे में परिवार आर्थिक रूप से परेशान हो इस पर सरकार को विचार करने की जरूरत है. शिक्षकों की मांग है कि उन पर तरस खाकर 15 हजार देने के बजाय, दोबारा नियुक्ति दी जाए.