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निजी स्कूलों को वार्षिक शुल्क वसूलने से रोकने संबंधी दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) के दो आदेशों को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग को स्कूलों की फीस पर तय करने का अधिकार तभी तक है, जब उसे पता चले कि उन फीसों को वसूलने से स्कूलों को व्यावसायिक लाभ हो रहा है.

delhi governments order to stop private schools from charging annual-fee
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : May 31, 2021, 10:09 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) की उन दो आदेशों को निरस्त कर दिया है. जिसमें निजी स्कूलों (private schools) को कोरोना के दौरान छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने का आदेश दिया गया था. जस्टिस जयंत नाथ ने कहा कि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वार्षिक और विकास शुल्क से स्कूल लाभ कमा रहे थे.


वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने से मना किया गया था

याचिका दिल्ली के गैर सहायता प्राप्त 450 निजी स्कूलों के संगठन एक्शन कमेटी अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) के शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल 2020 और 28 अगस्त 2020 को आदेश जारी कर स्कूलों को वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क वसूलने से मना कर दिया था.इन आदेशों को स्कूलों के फिजिकल खुलने तक लागू किया गया था. इसकी वजह से स्कूल छात्रों से पूरी फीस नहीं वसूल पा रहे हैं,

ये भी पढ़ें-अब 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में भी लग सकेंगे बिजली के मीटर, हाईकोर्ट ने दिया आदेश


लोगों की आर्थिक स्थिति खराब

याचिका में कहा गया था कि ये आदेश जारी करना गैरकानूनी है और शिक्षा निदेशालय के क्षेत्राधिकार के बाहर है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉडर्न स्कूल बनाम केंद्र सरकार के मामले में फैसला दिया था कि फीस बढ़ाने के पहले शिक्षा निदेशालय की अनुमति जरूरी है. दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और कई अभिभावकों की नौकरी चली गई है. ऐसे में सामान्य रूप से स्कूल खुले बिना पूरी फीस वसूलना गैरकानूनी है.

ये भी पढ़ें- '80 साल और 35 साल के दो मरीज हैं तो किसे मिलेगी वैक्सीन', हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

शिक्षा की व्यावसायिकता रोकने का अधिकार

हाईकोर्ट (Delhi high court) ने कहा कि शिक्षा विभाग को स्कूलों की फीस पर तय करने का अधिकार तभी तक है जब उसे पता चले कि उन फीसों को वसूलने से स्कूलों को व्यावसायिक लाभ हो रहा है. शिक्षा विभाग को शिक्षा की व्यावसायिकता रोकने का अधिकार है लेकिन वो अनिश्चित काल तक फीसों को वसूलने से नहीं रोक सकता है.

कोर्ट (Delhi high court) ने कहा कि स्कूलों को किराया, कर, परिवहन, इंश्योरेंस चार्ज, ऑडिटर्स की फीस, बिल्डिंग और फर्नीचर की रिपेयरिंग और रख-रखाव में होने वाले खर्च को बंद रहने के दौरान भी वहन करना पड़ता है. अगर ये सारे काम नहीं किए जाएंगे तो स्कूलों की बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हो सकता है.

ये भी पढ़ें- ब्लैक फंगस की दवा किसे मिले, किसे नहीं, बताए केंद्र और दिल्ली सरकार: Delhi HC

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) की उन दो आदेशों को निरस्त कर दिया है. जिसमें निजी स्कूलों (private schools) को कोरोना के दौरान छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने का आदेश दिया गया था. जस्टिस जयंत नाथ ने कहा कि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वार्षिक और विकास शुल्क से स्कूल लाभ कमा रहे थे.


वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने से मना किया गया था

याचिका दिल्ली के गैर सहायता प्राप्त 450 निजी स्कूलों के संगठन एक्शन कमेटी अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) के शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल 2020 और 28 अगस्त 2020 को आदेश जारी कर स्कूलों को वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क वसूलने से मना कर दिया था.इन आदेशों को स्कूलों के फिजिकल खुलने तक लागू किया गया था. इसकी वजह से स्कूल छात्रों से पूरी फीस नहीं वसूल पा रहे हैं,

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लोगों की आर्थिक स्थिति खराब

याचिका में कहा गया था कि ये आदेश जारी करना गैरकानूनी है और शिक्षा निदेशालय के क्षेत्राधिकार के बाहर है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉडर्न स्कूल बनाम केंद्र सरकार के मामले में फैसला दिया था कि फीस बढ़ाने के पहले शिक्षा निदेशालय की अनुमति जरूरी है. दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और कई अभिभावकों की नौकरी चली गई है. ऐसे में सामान्य रूप से स्कूल खुले बिना पूरी फीस वसूलना गैरकानूनी है.

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शिक्षा की व्यावसायिकता रोकने का अधिकार

हाईकोर्ट (Delhi high court) ने कहा कि शिक्षा विभाग को स्कूलों की फीस पर तय करने का अधिकार तभी तक है जब उसे पता चले कि उन फीसों को वसूलने से स्कूलों को व्यावसायिक लाभ हो रहा है. शिक्षा विभाग को शिक्षा की व्यावसायिकता रोकने का अधिकार है लेकिन वो अनिश्चित काल तक फीसों को वसूलने से नहीं रोक सकता है.

कोर्ट (Delhi high court) ने कहा कि स्कूलों को किराया, कर, परिवहन, इंश्योरेंस चार्ज, ऑडिटर्स की फीस, बिल्डिंग और फर्नीचर की रिपेयरिंग और रख-रखाव में होने वाले खर्च को बंद रहने के दौरान भी वहन करना पड़ता है. अगर ये सारे काम नहीं किए जाएंगे तो स्कूलों की बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हो सकता है.

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