नई दिल्ली: दिल्ली की जेलों में लगातार बढ़ती कैदियों की संख्या दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. इस साल जेल के अंदर हुई गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया और टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद तो सरकार और जेल प्रशासन इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास कर रही है. इसी के तहत दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर अन्य राज्यों के विचाराधीन कैदियों को वहां की जेलों में शिफ्ट करने की मांग की है.
दरअसल, इसके पीछे का कारण यही बताया जा रहा है कि यदि अन्य राज्यों के कैदियों को वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा तो जेलों में गैंगवार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकेगी. इससे दिल्ली की जेल अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित हो जाएगी. गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या का वीडियो वायरल होने के बाद जेल अंदर कैदियों की सुरक्षा और जेलों के अंदर व्याप्त अव्यवस्था पर तमाम सवाल उठे थे.
यह है व्यवस्थाः अभी जो व्यवस्था है उसके अनुसार विचाराधीन कैदियों को दूसरे राज्य की जेलों में सिर्फ अदालत या केंद्र सरकार के आदेश पर ही शिफ्ट किया जा सकता है. इसीलिए दिल्ली सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. दिल्ली सरकार चाहती है कि राजधानी की जेलों में बंद अन्य राज्यों के विचाराधीन कैदियों को अन्य राज्यों में शिफ्ट कर दिया जाए. योजना यह भी है कि अलग-अलग गिरोहों के सदस्यों को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट किया जाए ताकि वह एकजुट होकर वहां पर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या जैसी कोई वारदात न कर सकें.
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इसलिए पड़ रही जरूरतः जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इनमें बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है. जानकारों के अनुसार, जेलों की खराब स्थिति और उसमें क्षमता से अधिक कैदियों के होने का मुख्य कारण अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं. भारत की जेलों में करीब 70 प्रतिशत कैदी विचाराधीन हैं. कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक होने के कारण उनके लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था भी नहीं हो पाती है. वहीं, क्षमता से अधिक कैरी होने पर जेल में सुरक्षा व्यवस्था की समस्या भी पैदा होती है.
सरकार और जेल प्रशासन का खर्च बढ़ता हैः जेल में कैदियों की संख्या ज्यादा होती है तो जेल प्रशासन के खर्च पर भी दबाव बढ़ता है. जेल में बहुत से ऐसे अपराधी भी होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है. अदालत से जमानत मिल जाने के बाद भी उन्हें जेल में ही बंद रहना पड़ता है, क्योंकि उनके पास जमानत राशि तक नहीं होती है. वहीं कुछ अपराधी ऐसे भी होते हैं जिन्हें जमानतदार नहीं मिलते हैं और उन्हें जमानत के बाद भी जेल में रहना पड़ता है. इस कारण जेल में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जाती है जिससे जेलों पर दबाव बढ़ता जाता है.
दिल्ली की जेलों में बंद हैं 20 से अधिक गैंगस्टर
- तिहाड़ की तीनों जेल को मिलाकर 20 से अधिक गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, हासिम बाबा, संपत नेहरा, नीरज बवानिया, नासिर, छेनू पहलवान, अनिल भाटी, रवि गंगवार, रोहित चौधरी, राशिद केबल वाला, गोगी गैंग का खास अशोक प्रधान, रोहित मूई, अमित गुलिया, काला जठेड़ी, मंजीत महाल, सत्येंद्र सिंह आदि शामिल है.
- गोगी गैंग के सरगना दीपक बॉक्सर को पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेक्सिको से गिरफ्तार किया था. टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद दिल्ली पुलिस ने क्या करते ही गैंगस्टर के गुर्गों को गिरफ्तार किया है.
- दिल्ली में तीन जेल कॉन्प्लेक्स के अंदर कुल 16 जेल हैं. इनमें गरीब 10,000 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में करीब 20 हजार कैदी इन जेलों में बंद हैं.
- इस साल 14 अप्रैल को जेल में बंद प्रिंस तेवतिया की उसके विरोधी गैंगस्टर अतउर रहमान ने नुकीले हथियार से गोदकर हत्या कर दी थी. 2 मई को जेल में बंद गैंस्टर टिल्लू तजपुरिया की हत्या उसके विरोधी गोगी गैंग के बदमाशों ने कर दी थी.