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कोरोना समीक्षा के बाद निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड पर फैसला: दिल्ली सरकार - दिल्ली हाईकोर्ट में कोरोना से संबंधित याचिका

निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू ICU बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की गई. इस सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो कोरोना के हालात की 20-21 दिसंबर को समीक्षा करेगा.

Delhi government to decide on ICU bed in private hospitals after Corona review
दिल्ली सरकार कोरोना के संक्रमण की समीक्षा करेगी
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Published : Dec 15, 2020, 5:33 PM IST

नई दिल्ली: निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू ICU बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो कोरोना के हालात की 20-21 दिसंबर को समीक्षा करेगा. दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि अभी पर्यावरण की स्थिति खराब है और शादियों का भी मौसम है. इसलिए कुछ भी भविष्यवाणी करना मुश्किल है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 23 दिसंबर को करने का आदेश दिया.


ये भी पढ़ें:-देवांगन कलीता ने कपिल मिश्रा के खिलाफ नैरैटिव तैयार किया: दिल्ली पुलिस

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि उन्होंने 11 दिसंबर को हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा गया है कि 20-21 दिसंबर को दिल्ली सरकार कोरोना के संक्रमण की समीक्षा करेगी. संजय जैन ने कहा कि रोजाना कोरोना की संख्या बदल रही है. सप्ताहांत में असली तस्वीर सामने आएगी. जैन ने इस मामले को 23-23 दिसंबर को फैसला कर सकते हैं.

कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं

दिल्ली सरकार की दलील का अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है. दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है. मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं. आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो. क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे. मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं. गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है.

डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाया था

पिछले 9 दिसंबर को हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित 50 फीसदी से ज्यादा ICU बेड खाली पड़े हैं तो कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी ICU बेड आरक्षित रखे जाने से जुड़े फैसले पर तुरंत और दोबारा विचार करने की जरूरत है. पिछले 26 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति को देखते हुए डिवीजन बेंच हमारे आदेश पर रोक लगा चुकी है. हम स्थिति में सुधार के बाद ही कोई सुनवाई कर सकते हैं. पिछले 12 नवंबर को कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों में 80 फीसदी ICU बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया था. सिंगल बेंच ने 22 सितंबर को दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 खिलाफ बताया. सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है.


कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रोक लगी थी

सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फैसला करने को कहा. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी.

नई दिल्ली: निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू ICU बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो कोरोना के हालात की 20-21 दिसंबर को समीक्षा करेगा. दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि अभी पर्यावरण की स्थिति खराब है और शादियों का भी मौसम है. इसलिए कुछ भी भविष्यवाणी करना मुश्किल है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 23 दिसंबर को करने का आदेश दिया.


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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि उन्होंने 11 दिसंबर को हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा गया है कि 20-21 दिसंबर को दिल्ली सरकार कोरोना के संक्रमण की समीक्षा करेगी. संजय जैन ने कहा कि रोजाना कोरोना की संख्या बदल रही है. सप्ताहांत में असली तस्वीर सामने आएगी. जैन ने इस मामले को 23-23 दिसंबर को फैसला कर सकते हैं.

कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं

दिल्ली सरकार की दलील का अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है. दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है. मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं. आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो. क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे. मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं. गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है.

डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाया था

पिछले 9 दिसंबर को हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित 50 फीसदी से ज्यादा ICU बेड खाली पड़े हैं तो कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी ICU बेड आरक्षित रखे जाने से जुड़े फैसले पर तुरंत और दोबारा विचार करने की जरूरत है. पिछले 26 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति को देखते हुए डिवीजन बेंच हमारे आदेश पर रोक लगा चुकी है. हम स्थिति में सुधार के बाद ही कोई सुनवाई कर सकते हैं. पिछले 12 नवंबर को कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों में 80 फीसदी ICU बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया था. सिंगल बेंच ने 22 सितंबर को दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 खिलाफ बताया. सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है.


कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रोक लगी थी

सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फैसला करने को कहा. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी.

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