नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार द्वारा डीयू के 28 कॉलेजों के फंड रोक देने के बाद ये कॉलेज वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.
परेशानियों से सीएम को करवाया अवगत
इस पत्र में उन्होंने कॉलेज में कर्मचारियों को वेतन ना मिलने से लेकर अन्य सभी परेशानियों से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया है. उनसे फंड ना देने वाले आदेश को वापस लेने की मांग भी की है.
12 कॉलेज दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी
बता दें कि दिल्ली के करीब 12 कॉलेज ऐसे हैं जिनका पूरी तरह वित्तपोषण दिल्ली सरकार करती है. इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के गठन के मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच गतिरोध चल रहा है. दोनों ही एक दूसरे पर प्रक्रिया में देरी करने का आरोप लगाते रहते हैं.
इस रस्साकसी के बीच 16 अप्रैल को केजरीवाल सरकार द्वारा फरमान जारी किया गया था कि गवर्निंग बॉडी का गठन नहीं होने के कारण कॉलेजों को मिलने वाला फंड रोक दिया जाएगा.
फंड रोकने से बढ़ी परेशानी
केजरीवाल सरकार के इस फैसले का दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने विरोध किया है. डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि सरकार के इस फैसले से इन कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को खासी परेशानी हो रही है. पर्याप्त फंड न होने की वजह से ना ही उन्हें समय पर तनख्वाह मिल पा रही है और ना ही मेडिकल आदि बिल पास हो रहे हैं.
परिवारों का जीवन-यापन मुश्किल में
फंड रोक देने के बाद कर्मचारियों की ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार का जीवन-यापन मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि डूटा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पर्याप्त वित्त न होने से हो रही सभी समस्याओं के बारे में लिखा है. डूटा ने कहा कि आपसी मतभेद का हवाला देकर दिल्ली सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नहीं झाड़ सकती.
जल्द फंड रिलीज करने की मांग
नियम के मुताबिक सरकार को कॉलेज का पूरा खर्चा वहन करना चाहिए, साथ ही सेमी गवर्नमेंट कॉलेज में 5 फीसदी का योगदान देना अनिवार्य है. इस पत्र के जरिए डूटा ने मुख्यमंत्री से अपना आदेश वापस लेने और जल्दी फंड रिलीज करने की मांग की है.