नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court ) ने राजधानी के हुक्का बार मालिकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो हर्बल हुक्का की बिक्री की अनुमति देने पर विचार करे. जस्टिस रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार को पांच दिनों में दोबारा विचार कर कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे केवल खुले स्थान में ही हुक्का परोसेंगे और उसे किसी के साथ शेयर नहीं किया जाएगा. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने कहा कि उसने तीन अगस्त 2020 के अपने फैसले पर दोबारा विचार किया और 14 अक्टूबर को हुक्का बार पर रोक लगाने पर मुहर लगाई. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर उसे लगता है कि हुक्का पर रोक जरूरी है तो इस संबंध में हलफनामा दाखिल करे.
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याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे हुक्का बार में हुक्का परोसने के अलावा कई सेवाएं प्रदान करते हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस उनके बार के सामने अपने वाहन लगाकर प्रताड़ित करती है. तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ताओं के बार के सामने अपने वाहन लगाकर प्रताड़ित न करे.
इससे पहले 30 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताया था. कोर्ट ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को नया हलफनामा दाखिल कर ये बताने का निर्देश दिया था कि हुक्का की बिक्री पर लगी रोक पर दोबारा विचार किया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने 18 सितंबर को दिल्ली सरकार से कहा था कि वो कोरोना के दौरान हर्बल हुक्का के सार्वजनिक इस्तेमाल और बिक्री पर लगी रोक पर दोबारा विचार करे. अगर पुलिस को ब्रीद एनालाइजर टेस्ट करने की अनुमति है तब आप हुक्का की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं.
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याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील नंदनी साहनी ने कहा कि नोटिफिकेशन के मुताबिक, ग्राहकों को व्यक्तिगत स्तर पर हुक्का उपलब्ध कराने की अनुमति है. ग्राहकों को हुक्का किसी के साथ शेयर करने की अनुमति नहीं है. याचिका में कहा गया है कि जो गेस्ट होते हैं उनमें से महज पांच फीसदी लोग ही हुक्का की मांग करते हैं. इसके अलावा ब्रीद एनालाइजर टेस्ट भी किया जाता है. ऐसे में हुक्का बार चलाने की अनुमति नहीं देना भेदभाव के समान है. हुक्का बार पर रोक लगाने से इनमें काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार पर भी असर पड़ा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि जब हम अकेले कार चलाने वाले पर जुर्माना लगा सकते हैं तब हुक्का को शेयर करने की अनुमति कैसे दे सकते हैं. तीन अगस्त 2020 को दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन के जरिए हुक्का बार पर रोक लगाई थी. यह रोक अभी भी जारी है.