नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का दिल्ली गवर्नमेंट SC/ST/OBC कर्मचारी यूनियन ने विरोध किया है. संगठन के संयोजक वी के जाटव ने बताया कि नई आबकारी नीति हर तरह से नुकसानदेह है और अगर इसे दिल्ली सरकार लागू करती है तो यह ना केवल निगम कर्मियों के लिए बल्कि पूरी दिल्ली के लिए घातक साबित होगा.
वी के जाटव ने बताया कि दिल्ली पर्यटन, दिल्ली सिविल सप्लाई, दिल्ली कंज्यूमर और दिल्ली औद्योगिक निगम के कर्मचारियों को यह डर है कि नई आबकारी नीति के लागू होने पर कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी और उनको सरप्लस घोषित कर जबरन वर्तमान निगम से ट्रांसफर कर अन्य निगमों में भेजा जाएगा या उन्हें कंप्लसरी VRS दे दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली सरकार राजस्व में 20 फीसदी की वृद्धि के लिए शराब के व्यापार में प्राइवेट प्लेयर्स को दिल्ली में लाना चाहती है तो हम राजस्व में 30 फीसदी वृद्धि करके देंगे. जिसके लिए अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता है. शराब की होम डिलीवरी की योजना का हम स्वागत करते हैं. इससे यकीनन ही राजस्व बढ़ेगा लेकिन इसके लिए सरकारी दुकानों का निजीकरण करने की जरूरत नहीं है. दिल्ली में 500 दुकानें सरकारी हैं और हर वर्ष 5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ सरकार को हजारों करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है.
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वी के जाटव ने कहा कि कोरोना की वजह से दिल्लीवासी पहले ही भारी दिक्कत में हैं. यदि चारों निगम के हजारों कर्मचारियों की नौकरी नहीं रही तो इनके परिवार भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. अगर सरकार मानती है कि दिल्ली में दो हजार ठिकानों से शराब की अवैध बिक्री होती है तो सरकार अपने कर्मचारियों को ही कटघरे में खड़ा करने की बजाय डीएम, एसडीएम और दिल्ली पुलिस के जरिए कठोर कार्रवाई करे.
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इस व्यापक निजीकरण नीति के कारण निगमों में तालाबंदी का संकट आ जाएगा क्योंकि आर्थिक रूप से चरमराई व्यवस्था में यह निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं दे पाएंगे. ऐसी स्थिति में इन चारों निगमों को बंद करना पड़ेगा. अगर दिल्ली सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो हमारे संगठन द्वारा आगामी 12 जुलाई को दिल्ली के शहीदी पार्क में एक सांकेतिक प्रदर्शन भी किया जाएगा. हम शांतिपूर्ण तरीके से इस मसले का हल चाहते हैं. इसलिए हमने दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है.