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होटल अर्पित अग्निकांड: 10 दिन तक तलाशते रहे परिजन, ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान - Hotel Arpit incident

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 दिन तक जब शव की पहचान नहीं हो सकी तो शव की पहचान के लिए ह्रदय की भी जांच की गई. जिसके बाद ह्रदय के रक्त का मिलान हो गया है. इसके बाद शव की पहचान नामचंद के रूप में हुई है.

होटल अर्पित अग्निकांड: 10 दिन तक तलाशते रहे परिजन, ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान
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Published : Feb 23, 2019, 11:03 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी के करोल बाग स्थित अर्पित होटल में लगी भीषण आग में जहां 17 लोगों की जान चली गई थी. वहीं एक बॉडी ऐसी थी जिसकी पहचान पिछले10 दिन से नहीं हो पा रही थी. पिछले10 दिन से लगातार परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. अब मामले में बड़ा खुलासा हुआ है...पूरी घटना की जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर...

होटल अर्पित अग्निकांड: 10 दिन तक तलाशते रहे परिजन, ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान

परिजनों को जब यह मालूम चला कि यह हादसा हुआ है तो वह भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन वह शव की पहचान नहीं कर पा रहे थे. उन्हें आस थी कि नामचंद जिंदा होंगे. लेकिन बाद में झूठे साक्ष्य और रक्त की जांच ने शव की पहचान करा दी. जिसके बाद शनिवार को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस से परिजन शव ले गए. फिलहाल मामले की तफ्तीश क्राइम ब्रांच कर रही है.

डीएनए भी नहीं हुआ मैच
परिजनों से मिली जानकरी के अनुसार डॉक्टर्स की टीम ने जांच की. इसके बाद शव का डीएनए भी कराया गया था. अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले सबसे अहम बात यह भी सामने आई कि डीएनए भी परिजनों से नहीं मिल पाया था. शव की हड्डियों से जब मिलान किया गया तो भी पहचान पूर्ण रूप से नहीं हो पाई.

ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 दिन तक जब शव की पहचान नहीं हो सकी तो शव की पहचान के लिए ह्रदय की भी जांच की गई. जिसके बाद ह्रदय के रक्त का मिलान हो गया है. इसके बाद शव की पहचान नामचंद के रूप में हुई है. बता दें कि परिजन करोलबाग में ही रहते हैं.
फिलहाल सभी शव की पहचान हो चुकी है और सभी को सुपुर्द कर दिया गया है.

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नई दिल्ली: राजधानी के करोल बाग स्थित अर्पित होटल में लगी भीषण आग में जहां 17 लोगों की जान चली गई थी. वहीं एक बॉडी ऐसी थी जिसकी पहचान पिछले10 दिन से नहीं हो पा रही थी. पिछले10 दिन से लगातार परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. अब मामले में बड़ा खुलासा हुआ है...पूरी घटना की जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर...

होटल अर्पित अग्निकांड: 10 दिन तक तलाशते रहे परिजन, ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान

परिजनों को जब यह मालूम चला कि यह हादसा हुआ है तो वह भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन वह शव की पहचान नहीं कर पा रहे थे. उन्हें आस थी कि नामचंद जिंदा होंगे. लेकिन बाद में झूठे साक्ष्य और रक्त की जांच ने शव की पहचान करा दी. जिसके बाद शनिवार को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस से परिजन शव ले गए. फिलहाल मामले की तफ्तीश क्राइम ब्रांच कर रही है.

डीएनए भी नहीं हुआ मैच
परिजनों से मिली जानकरी के अनुसार डॉक्टर्स की टीम ने जांच की. इसके बाद शव का डीएनए भी कराया गया था. अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले सबसे अहम बात यह भी सामने आई कि डीएनए भी परिजनों से नहीं मिल पाया था. शव की हड्डियों से जब मिलान किया गया तो भी पहचान पूर्ण रूप से नहीं हो पाई.

ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 दिन तक जब शव की पहचान नहीं हो सकी तो शव की पहचान के लिए ह्रदय की भी जांच की गई. जिसके बाद ह्रदय के रक्त का मिलान हो गया है. इसके बाद शव की पहचान नामचंद के रूप में हुई है. बता दें कि परिजन करोलबाग में ही रहते हैं.
फिलहाल सभी शव की पहचान हो चुकी है और सभी को सुपुर्द कर दिया गया है.

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Intro:दस दिन तक तलाशते रहे परिजन, ह्रदय के रक्त से हुई पहचान

स्पेशल, नई दिल्ली: करोल बाग स्थित अर्पित होटल में लगी भीषण आग में जहां 17 लोगों की जान चली गई थी.वहीं एक बॉडी ऐसी थी जिसकी पहचान पिछले 10 दिन से नहीं हो पा रही थी.पिछले 10 दिन से लगातार परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे थे.परिजनों को जब यह मालूम चला कि यह हादसा हुआ है तो वह भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे.लेकिन वह शव की पहचान नहीं कर पा रहे थे. उन्हें आस थी कि नामचंद जिंदा होंगे. लेकिन बाद में झूठे साक्ष्य और रक्त की जांच ने शव की पहचान करा दी. जिसके बाद शनिवार को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस से परिजन शव ले गए. फिलहाल मामले की तफ्तीश क्राइम ब्रांच कर रही है.


Body:डीएनए भी नहीं हुआ मैच
वहीं जब परिजनों से मिली जानकरी के अनुसार, डॉक्टर्स की टीम ने जांच की.इसके बाद शव का डीएनए भी कराया गया था.अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले सबसे अहम बात यह भी सामने आई कि डीएनए भी परिजनों से नहीं मिल पाया था.शव की हड्डियों से जब मिलान किया गया तो भी पहचान पूर्ण रूप से नहीं हो पाई.जिसके बाद क्राइम ब्रांच की भी बेहद चिंतित था.

ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 दिन तक जब सब की पहचान नहीं हो सकी. तो शव की पहचान के लिए ह्रदय की भी जांच की गई.जिसके बाद ह्रदय के रक्त का मिलान हो गया है.इसके बाद शव की पहचान नामचन्द के रूप में हुई है.परिजन करोलबाग में ही रहते हैं.


Conclusion:फिलहाल पिछले 10 दिन से रखे पोस्टमार्टम में इस शव की पहचान हो चुकी है और शनिवार को शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है. वहीं शव की पहचान होने के बाद परिवार में गम का माहौल बना हुआ है.गौरतलब है कि बीती 12 फरवरी को करोल बाग स्थित अर्पित होटल में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी .लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए काफी मशक्कत की और बिल्डिंग की चौथे माली से भी कूद गए थे. इस हादसे में होटल के अंदर करीब 55 लोग मौजूद थे .फिलहाल सभी शव की पहचान हो चुकी है और सभी को सुपुर्द कर दिया गया है.वही इस हादसे में लगी भीषण आग के कारणों को लेकर क्राइम ब्रांच तफ्तीश में जुटी है.
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