नई दिल्ली: राजधानी के करोल बाग स्थित अर्पित होटल में लगी भीषण आग में जहां 17 लोगों की जान चली गई थी. वहीं एक बॉडी ऐसी थी जिसकी पहचान पिछले10 दिन से नहीं हो पा रही थी. पिछले10 दिन से लगातार परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. अब मामले में बड़ा खुलासा हुआ है...पूरी घटना की जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर...
परिजनों को जब यह मालूम चला कि यह हादसा हुआ है तो वह भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन वह शव की पहचान नहीं कर पा रहे थे. उन्हें आस थी कि नामचंद जिंदा होंगे. लेकिन बाद में झूठे साक्ष्य और रक्त की जांच ने शव की पहचान करा दी. जिसके बाद शनिवार को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस से परिजन शव ले गए. फिलहाल मामले की तफ्तीश क्राइम ब्रांच कर रही है.
डीएनए भी नहीं हुआ मैच
परिजनों से मिली जानकरी के अनुसार डॉक्टर्स की टीम ने जांच की. इसके बाद शव का डीएनए भी कराया गया था. अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले सबसे अहम बात यह भी सामने आई कि डीएनए भी परिजनों से नहीं मिल पाया था. शव की हड्डियों से जब मिलान किया गया तो भी पहचान पूर्ण रूप से नहीं हो पाई.
ह्रदय के रक्त से हुई शव की पहचान
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 दिन तक जब शव की पहचान नहीं हो सकी तो शव की पहचान के लिए ह्रदय की भी जांच की गई. जिसके बाद ह्रदय के रक्त का मिलान हो गया है. इसके बाद शव की पहचान नामचंद के रूप में हुई है. बता दें कि परिजन करोलबाग में ही रहते हैं.
फिलहाल सभी शव की पहचान हो चुकी है और सभी को सुपुर्द कर दिया गया है.