नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को भी जमकर हंगामा हुआ. सबसे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक सौरभ भारद्वाज की तरफ से पेश ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के अंत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि हमारे निर्णय फैसलों को रोकने वाले एलजी कौन होते हैं. LG सिर पर आकर बैठ गए हैं. अब एलजी तय करेंगे कि हम अपने बच्चों को कहां पर भेजेंगे. एक चुनी हुई सरकार का मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री अगर किसी को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजना चाहता है तो वो कौन होते हैं रोकने वाले. यह तो वही बात हो गई बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना.
अपने संबोधन की शुरुआत में केजरीवाल ने कहा कि भगवान ने चाहा तो कल केंद्र में हमारी सरकार होगी. दिल्ली में बीजेपी या किसी की सरकार हो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा एलजी किसी को तंग नहीं करेगा. हम चुनी हुई सरकार की इज्जत करते हैं. हम लोगों की इज्जत करते हैं. मैंने हमेशा कहा है कि दिल्ली के बच्चे हमारे बच्चे हैं. मेरे दो बच्चे हैं. मैं अपनी हर्षिता और पुलकित की तरह दिल्ली के सभी बच्चों को मानता हूं. अगर हमने बच्चों को शिक्षा दी तो देश का भविष्य बनेगा. हजार से ज्यादा टीचर्स और प्रिसिंपल को विदेश में ट्रेनिंग करवा चुके हैं. वैसे हमारी चुनी सरकार है. मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने कह दिया कि शिक्षक ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजना चाहते हैं, तो बात खत्म हो जानी चाहिए. एलजी साहब ने दो बार ऑब्जेक्शन लगाकर भेजा है. बार-बार ऑब्जेक्शन लगाया जाता है. तीसरी बार भेजेंगे, तो फिर रोकेंगे. यानी नीयत खराब है.
CM ने आगे कहा कि बीजेपी के कई सांसद और विधायक विदेश में पढ़कर आते हैं. क्या इनका कॉस्ट बैनिफिट निकाला. मैं अच्छी शिक्षा के विरोध में नहीं हूं. यदि हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, तो गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से क्यों रोकना चाहते हैं. आजादी मिल गई, लेकिन माइंडसेट नहीं सुधरा. एलजी कह रहे हैं कि इंडिया में करा लें. हमारे बच्चे किसी से कम है क्या. दिल्ली के टैक्स के पैसे से भेज रहे हैं. कौन एलजी, हमारे सिर पर आकर बैठ गया एलजी. अब वो तय करेंगे कि अपने बच्चों को कहां पढ़ाएंगे. हमारे बच्चों को पढ़ने नहीं दिया. सामने आ गया. एलजी साहब के पास पावर ही नहीं है ये सब करने की.
सुप्रीम कोर्ट के सहारे LG पर हमलाः मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और लैंड को छोड़कर एलजी साहब के पास कोई भी फैसला लेने का अधिकार नहीं है. 4 जुलाई 2018 को ऑर्डर पास किया था. सुप्रीम कोर्ट की तो सबको माननी पड़ती है. ऑर्डर के पैरा 284.17 में लिखा है कि एलजी को स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने दो बार लिखा पैराग्राफ नंबर 475 में लिखा कि एलजी के पास निर्णय लेने की पावर नहीं है. इस पर एलजी कहते हैं कि हां. सुप्रीम कोर्ट की अपनी राय होगी. इतने बड़े संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश राय है, तो क्या कह सकते हैं. एलजी ने कहा कि मैं एडमिनिस्ट्रेशन हूं. मैंने मना नहीं किया है. सवाल किया कि क्या डीओपीटी की गाइडलाइन का पालन हुआ? क्या ऑब्जेक्टिव हासिल होगा? मैं पहली कक्षा से 12 वीं तक कुरुक्षेत्र यूनिर्विसिटी में फर्स्ट आया हूं. कभी मास्टर ने मेरी ऐसी चेकिंग नहीं की.
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शुक्रवार को उपराज्यपाल से मुलाकात का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि एलजी साहब ने उन्हें कहा कि मेरी वजह से बीजेपी को 104 सीटें आई हैं, अगली बार बीजेपी को सभी सातों संसदीय सीटें जिताएंगे. लोगों को मोहल्ला क्लीनिक बंद करके, पानी बंद करके, लोगों के बिजली बंद करके, चुनाव जीतना चाहते हैं तो चुनाव आपको मुबारक हम लोगों की सेवा करेंगे हम आपकी तरह नहीं कर सकते.
विधानसभा में अपने 25 मिनट के संबोधन के अंत मे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अध्यक्ष महोदय हम संविधान को मजबूत करने के लिए अपने लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए हमें जो भी कुर्बानी देना पड़े, हम देंगे. हम देश की आजादी को इस तरह खराब बिल्कुल नहीं होने देंगे. यह जो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव है मैं इसका पूरी तरह समर्थन करता हूं.