नई दिल्ली: मेट्रो में यात्री ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट्स (Automatic Fair Collection Gates) पर जाकर, स्मार्ट कार्ड या तो टोकन लगाते हैं और गेट खुल जाता है. बस इसी तर्ज पर साल 2018 में दिल्ली में बने एक स्टेशन से रेलवे ने भी ऐसी एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. हालांकि. इसकी इतनी बेकद्री हुई कि आज उस स्टेशन पर प्रोजेक्ट का नाम-ओ-निशान तक नहीं है.
2018 में शुरू हुआ था सिस्टम
दरअसल, इस प्रोजेक्ट की शुरुआत दिल्ली के बराड़ (बरार) स्क्वेयर स्टेशन (Delhi Brar Square Station) से हुई थी. मिली जानकारी के मुताबिक, रेलवे के सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम्स (Center for Railway Information Systems) यानी कि क्रिस ने पायलट तौर पर इसे शुरू किया था. साल 2018 में शुरू हुए सिस्टम से कई महीने तक यात्रियों को बारकोड युक्त टिकट देकर, इस सिस्टम के प्रति जानकर बनाया गया, लेकिन साल 2019 में इस सिस्टम को बंद करना पड़ा.
कैसे काम करता था सिस्टम!
इस सिस्टम के तहत स्टेशन के एंट्री/एग्जिट पॉइंट पर ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट बनाए गए थे. यात्रियों को स्टेशन पर बारकोड युक्त टिकट दी जाती थी, जिसे स्कैन करने पर गेट खुलते थे. स्टेशन पर मौजूद एक कर्मचारी के मुताबिक, अप्रैल 2019 में इस सिस्टम को पूरी तरह बंद कर दिया गया, क्योंकि यह लोगों के काम नहीं आ पा रहा था.
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क्या बना सिस्टम फेल होने का कारण!
स्टेशन पर तैनात एक कर्मचारी के मुताबिक इस सिस्टम के फेल होने की सबसे बड़ी वजह पायलट तौर पर शुरू किए गए, इस प्रोजेक्ट में तैयारियों की कमी थी. उन्होंने बताया कि स्टेशन पर जाने वाले यात्रियों के लिए, यहां से बारकोड युक्त टिकट दे दी जाती थी, लेकिन अन्य स्टेशनों पर ऐसी सुविधा नहीं थी. लिहाजा, जो यात्री दूसरे स्टेशनों से इस स्टेशन पर आते थे, उनके लिए गेट को मैनुअल तरीके से बटन दबाकर खोलना पड़ता था. गाड़ी के आने पर, ऐसे यात्रियों की संख्या कई बार सैकड़ों में होती थी. इसकी वजह से लाइन लग जाती थी और लोग परेशान होते थे. स्टेशन से जाने वाले यात्रियों के लिए भी कई बार बारकोड स्कैन कर गेट खोलना एक बड़ी चुनौती होता था. ऐसे में इस सिस्टम को बंद करना ही ठीक समझा गया.
क्या कहते हैं अधिकारी!
इस संबंध में, जब दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक एसपी जैन से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह योजना दिल्ली मंडल की नहीं थी. क्रिस ने साल 2019 में इसे टेस्टिंग के लिए शुरू किया था. वहीं, उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार कहते हैं कि किसी भी योजना को बंद करने का मतलब यह नहीं होता कि वह फेल हो गई है, बल्कि कई बार, उसमें सुधार कर बेहतर तरीके से लोगों की सहूलियत के लिए, उसे शुरू किया जाता है. उन्होंने कहा कि योजना को फेल नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह कहा जा सकता है कि पायलट तौर पर शुरू किए गए प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से शुरू करने के लिए रोका गया है.
बराड़ स्क्वेयर स्टेशन
बताते चलें कि बराड़ स्क्वेयर स्टेशन रिंग रोड पर आर्मी हॉस्पिटल के निकट बना हुआ है. यह दिल्ली का एक लोकल स्टेशन है, जो पहले रिंग रेल योजना में भी शामिल था. आम दिनों में, यहां पर कई पैसेंजर गाड़ियां रुकती हैं, लेकिन मौजूदा समय में लॉकडाउन के बाद, यहां किसी गाड़ी को ठहराव नहीं दिया गया है.