नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा एक हजार बसों की खरीद में हुए कथित घोटाले में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दिल्ली भाजपा ने आज मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा के सभी विधायकों ने एक स्वर में मांग की कि जब तक इस घोटाले में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की गिरफ्तारी नहीं होती तब तक हमारा प्रदर्शन चलता रहेगा.
मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन के दौरान दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि भाजपा की मांग पर उपराज्यपाल ने एक जांच कमेटी बैठाई थी, जिसने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. जांच रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को आदेश दिया गया है कि नए सिरे से बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किए जाएं.
हमारा कहना है कि अगर दिल्ली सरकार के मुताबिक, बसों की खरीद के लिए जारी टेंडर में कोई घोटाला नहीं हुआ है तो फिर क्यों जांच समिति की रिपोर्ट में नए सिरे से टेंडर जारी करने के आदेश दिए हैं. इस पूरे मामले में लगभग 5000 करोड़ रुपये की घोटाले की आशंका है. इसलिए दिल्ली भाजपा मांग करती है कि इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से कराई जाए और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत अपने पद से इस्तीफा दें.
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रोहिणी से विधायक और दिल्ली विधानसभा में इस मामले को उठाने वाले भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि हमारी मांग पर एलजी ने जांच समिति बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट में यह साफ है कि बसों की खरीद में घोटाला हुआ है. अगर घोटाला नहीं होता तो जांच समिति अपनी रिपोर्ट में नए सिरे से टेंडर जारी करने का आदेश नहीं देती. हैरानी की बात है कि बसों को खरीदने के लिए जारी टेंडर के साथ ही बसों के मेंटेनेंस के लिए भी टैंडर जारी कर दिए गए, जबकि आमतौर पर नई बसों की खरीद होने के 3 साल तक उसकी मेंटेनेंस कंपनी द्वारा की जाती है. फिर आखिर किसे फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार ने नए बसों के टेंडर के साथ उसके मेंटेनेंस के लिए टेंडर जारी किए. इस पूरे मामले में एक बहुत बड़ा घोटाला है और दिल्ली भाजपा इसकी एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की मांग करती है.
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जनवरी 2021 में दिल्ली सरकार ने एक हजार बसों की खरीद का ऑर्डर दिया था, जिसकी कुल कीमत 890 करोड़ रुपये थी. बसों की खरीद के साथ-साथ ही बसों के रख-रखाव के लिए भी 350 करोड़ रुपये सालाना का टेंडर जारी किया गया था. इसमें बीजेपी का आरोप था कि बसों की खरीद पर तीन साल की वारंटी मिलती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने बसों की खरीद के पहले दिन से ही रख-रखाव के टेंडर की बात कही थी.