नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली सरकार के स्कूलों में की गई एक रिसर्च पेश की है. इसमें ये सामने आया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द के शिकार हैं. इस रिसर्च में 10 साल से लेकर 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रेमिटोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उमा कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
प्रोफेसर डॉक्टर उमा कुमार ने बताया कि हमने राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1600 बच्चों पर ये रिसर्च की थी. जिसमें 10 साल से 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया. उन्होंने बताया कि कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने वजन से 15 प्रतिशत ज्यादा वजन बैग का उठाते हैं, जिसकी वजह से उनके जोड़ों में दर्द की शिकायत बन रही है.
'मोबाइल और टीवी भी मुख्य कारण'
डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष हमने पेपर तैयार किए थे, जिसमें टीवी और मोबाइल फोन का उपयोग करने पर भी जानकारी ली गई थी. उन्होंने बताया कि जो बच्चे दो घंटे से ज्यादा मोबाइल और टीवी का प्रयोग करते हैं, उनकी गर्दन और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है. उन्होंने बताया कि ऐसे में कई बच्चे अर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं.
ऐसे रखें ध्यान
डॉक्टर ने बताया कि अर्थराइटिस की समस्या आज न केवल 40 साल से ऊपर के लोगों में हैं बल्कि बच्चों और युवाओं में भी खासकर देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी है कि हम कम से कम समय बच्चों को मोबाइल दें और दूसरी ओर उनके खान-पान और एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें.