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वर्ल्ड अर्थराइटिस डे: दिल्ली में सरकारी स्कूलों के 63 प्रतिशत बच्चे जोड़ों के दर्द के शिकार

दिल्ली एम्स ने वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर स्कूली बच्चों की एक रिसर्च रिपोर्ट पेश की. इसमें बताया गया है कि किस तरह फोन, टीवी और भारी बैग बच्चों के लिए हानिकारक है.

वर्ल्ड अर्थराइटिस डे
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Published : Oct 12, 2019, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली सरकार के स्कूलों में की गई एक रिसर्च पेश की है. इसमें ये सामने आया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द के शिकार हैं. इस रिसर्च में 10 साल से लेकर 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रेमिटोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उमा कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली एम्स ने पेश की रिपोर्ट
'बच्चे उठा रहे ज्यादा वजन'

प्रोफेसर डॉक्टर उमा कुमार ने बताया कि हमने राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1600 बच्चों पर ये रिसर्च की थी. जिसमें 10 साल से 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया. उन्होंने बताया कि कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने वजन से 15 प्रतिशत ज्यादा वजन बैग का उठाते हैं, जिसकी वजह से उनके जोड़ों में दर्द की शिकायत बन रही है.

'मोबाइल और टीवी भी मुख्य कारण'

डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष हमने पेपर तैयार किए थे, जिसमें टीवी और मोबाइल फोन का उपयोग करने पर भी जानकारी ली गई थी. उन्होंने बताया कि जो बच्चे दो घंटे से ज्यादा मोबाइल और टीवी का प्रयोग करते हैं, उनकी गर्दन और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है. उन्होंने बताया कि ऐसे में कई बच्चे अर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं.

ऐसे रखें ध्यान

डॉक्टर ने बताया कि अर्थराइटिस की समस्या आज न केवल 40 साल से ऊपर के लोगों में हैं बल्कि बच्चों और युवाओं में भी खासकर देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी है कि हम कम से कम समय बच्चों को मोबाइल दें और दूसरी ओर उनके खान-पान और एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें.

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली सरकार के स्कूलों में की गई एक रिसर्च पेश की है. इसमें ये सामने आया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द के शिकार हैं. इस रिसर्च में 10 साल से लेकर 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रेमिटोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उमा कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली एम्स ने पेश की रिपोर्ट
'बच्चे उठा रहे ज्यादा वजन'

प्रोफेसर डॉक्टर उमा कुमार ने बताया कि हमने राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1600 बच्चों पर ये रिसर्च की थी. जिसमें 10 साल से 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया. उन्होंने बताया कि कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने वजन से 15 प्रतिशत ज्यादा वजन बैग का उठाते हैं, जिसकी वजह से उनके जोड़ों में दर्द की शिकायत बन रही है.

'मोबाइल और टीवी भी मुख्य कारण'

डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष हमने पेपर तैयार किए थे, जिसमें टीवी और मोबाइल फोन का उपयोग करने पर भी जानकारी ली गई थी. उन्होंने बताया कि जो बच्चे दो घंटे से ज्यादा मोबाइल और टीवी का प्रयोग करते हैं, उनकी गर्दन और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है. उन्होंने बताया कि ऐसे में कई बच्चे अर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं.

ऐसे रखें ध्यान

डॉक्टर ने बताया कि अर्थराइटिस की समस्या आज न केवल 40 साल से ऊपर के लोगों में हैं बल्कि बच्चों और युवाओं में भी खासकर देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी है कि हम कम से कम समय बच्चों को मोबाइल दें और दूसरी ओर उनके खान-पान और एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें.

Intro:वर्ल्ड अर्थराइटिस डे: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 63 प्रतिशत बच्चे जोड़ो के दर्द के शिकार

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर दिल्ली सरकार के स्कूलों की एक रिसर्च पेश की है. इसमें यह सामने आया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे है जो कि जोड़ो और मांसपेशियों के दर्द के शिकार हैं.हैरान करने वाली बात यह है कि इस रिसर्च में 10 साल से लेकर 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. तो आइए जानते हैं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रेमिटोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उमा कुमार से आखिर इस रिसर्च में क्या कुछ है इस रिसर्च में.


Body:आपके बच्चे वजन से 15 प्रतिशत वजन ज्यादा उठा रहे
प्रोफेसर डॉक्टर उमा कुमार ने बताया कि हमने राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1600 बच्चों पर यह रिसर्च की थी. जिसमें 10 साल से 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि बच्चों में 63 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जो कि जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि इसमें यह देखा गया है कि कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने वजन से 15 प्रतिशत ज्यादा वजन बैग का उठाते हैं. जिसकी वजह से उनके जोड़ों में दर्द की शिकायत बन रही है.


मोबाइल फोन, टीवी भी है मुख्य कारण
डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष में हमने पेपर तैयार किए थे जिसमें टीवी और मोबाइल फोन का उपयोग करने पर भी जानकारी ली गई थी.उन्होंने बताया कि जो बच्चे दो घंटे से ज्यादा मोबाइल और टीवी का उपयोग करते हैं. उनकी गर्दन और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है.उन्होंने बताया कि ऐसे में कई बच्चे अर्थराइटिस के शिकार होने का एक कारण यह भी बने हैं.

कैसे रखें बच्चो का ध्यान
डॉक्टर ने बताया कि जिस तरीके से अर्थराइटिस की समस्या आज न केवल 40 साल से ऊपर के लोगों में हैं बल्कि अब बच्चों और युवाओं में भी खासकर देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी है कि हम कम से कम समय बच्चों को मोबाइल दे और दूसरी ओर उनके खान पीन और एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें.उनका मानना है कि आज जिस तरीके से आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं उससे उनकी समय सारणी में बदलाव हो रहा है जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.


Conclusion:फिलहाल प्रोफेसर डॉक्टर उमा कुमार का कहना है कि वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर हमारा उद्देश्य है कि सभी लोग मिलकर इस बीमारी को इग्नोर करने के बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लें उन्होंने बताया कि अगर आपके जोड़ों में दो हफ्ते से ज्यादा दर्द रहता है तो एक बार आप जरूर डॉक्टर से सलाह लें.
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