नई दिल्ली : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में दो दिवसीय "दीक्षा : गुरु शिष्य परम्परा महोत्सव" (Deeksha: Guru Shishya Parampara Mahotsav) का शुभारंभ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ट्रस्टी, पद्मविभूषण, सांस्कृतिक विदुषी, प्रख्यात नृत्यांगना, राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मान सिंह और कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने दीप प्रज्वलित कर किया. शनिवार सुबह पहले सत्र में मां कामाख्या की आराधना के साथ डॉ. सोनल मान सिंह के शिष्यों और बुद्धिजीवियों ने उनकी जीवन यात्रा को विस्तार से बताया. डॉ. सोनल मान सिंह की जीवन यात्रा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन अतिथियों ने किया. कार्यक्रम में उनके जीवन पर आधारित शॉर्ट फ़िल्म भी दिखाई गई.
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कर्ण सिंह ने किया पुस्तक का विमोचन : इसके बाद शाम के सत्र में डॉ. सोनल मान सिंह की पुस्तक "जिग जैग माइंड" का विमोचन मुख्य अतिथि राज्यसभा के पूर्व सांसद कर्ण सिंह ने किया.उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नृत्य के बराबर कोई अन्य चीज़ नहीं हो सकती है. इसके लिए साधना करनी होती है. उन्होंने डॉ. सोनल मान सिंह के बारे में कहा कि उनका भरतनाट्यम सबसे उत्तम है. यह एक ऐसा नृत्य है जिससे डेढ़ घंटे में सारी रामायण देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का यह अच्छा प्रयास है कि उसने गुरु शिष्य परंपरा पर कार्यक्रम आयोजित किया है. यह परंपरा हज़ारों सालों से वेद और उपनिषदों में चली आ रही है. इस मौके पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, राज्यसभा सांसद, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे आदि मौजूद रहे. शाम के सत्र में भरतनाट्यम, द्रौपदी आदि कार्यक्रमों ने कला प्रेमियों का मनमोह लिया.
पुस्तक के बारे में बताया : अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए डॉ. सोनल मान सिंह ने कहा कि 20 सालों में जो लिखा है, वह इस किताब के अंदर संग्रहित है. पहले सत्र की वार्ता में डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि हर कार्य को निष्ठा के साथ करना चाहिए. उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि किसी के साथ जुड़ें तो उसे आदर-सम्मान देना चाहिए. यह ऊपर से पैर छूने से अच्छा है. अग्निपरीक्षा देते रहने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं, अगर हम अपने जुनून को पहचानते हैं. लेकिन बहुत लोगों को अपने जुनून का पता ही नहीं चलता है. इससे पहले उनकी पहली शिष्य न्यूयार्क से आईं स्वाति भिसे ने डॉ. सोनल मान सिंह की जीवन यात्रा को विस्तार से बताया. वह डॉ. सोनल मान सिंह के साथ 1976 मे जुड़ीं थीं. उन्होंने कहा कि बिना गुरु के कुछ भी संभव नहीं है.
गुरुदेव टैगोर की शिक्षा छात्र-छात्राओं के अपनाना जरूरी: प्रोफेसर मालाश्री लाल ने डॉ. सोनल मान सिंह पर कहा कि हमने साथ मिलकर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर पर काफी अध्ययन किया. उनकी दी गईं शिक्षा को विश्विद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए अपनाना जरूरी है. आशीष खोखर ने कहा कि डॉ. सोनल मान सिंह की कला का पूरा विश्व प्रेमी है. उन्होंने कहा कि कभी भी अधूरा ज्ञान नहीं होना चाहिए. क्या हम हाफ सर्जन, हाफ डेंटिस्ट बन सकते हैं ? इसलिए हाफ डांसर भी बनने से बचना होगा. डॉ. कुमुद दीवान ने डॉ. सोनल मान सिंह की जीवन यात्रा पर कहा कि अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी वह स्वयं है. उनका नृत्य, ताल, राग, कंठ बहुत अच्छा है. कार्यक्रम में पंडित शुभेन्द्र राव ने कहा कि डॉ. सोनल मान सिंह ज्ञान से परिपूर्ण हैं. उन्होंने 2023 में भारत रत्न के लिए डॉ. सोनल मान सिंह को दावेदार बताया. इसके अलावा बंकिम सेठी, पल्लवी, चन्द्रकांत, नंदिनी, अर्जुन पुरी, डॉ. आनंद कुमार ने भी डॉ. सोनल मान सिंह की जीवन यात्रा पर विचार व्यक्त किए.
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