नई दिल्ली: आज आम आदमी के लिए सब्जी खाना आसान नहीं है. अरहर की दाल, टमाटर और हरी सब्जियों के साथ जीरा भी आंख दिखाने लगा है. पुरानी दिल्ली के खारी बावली स्थित मसालों के होलसेल बाजार में जीरे का भाव 720 से 740 रुपए किलो पहुंच गया है. यह जीरा आपके मोहल्ले-पड़ोस की रिटेल दुकान पर 800 रुपये किलो से ऊपर मिलेगा. जीरे का भाव हर किसी को शॉक लगा रहा है. सब्जी, दाल, पुलाव और रायते का स्वाद बढ़ाने के लिए जीरे का तड़का लगाया जाता है. अब परिवारों में किचन का बजट चरमरा रहा है. वहीं, गुरुवार को दिल्ली में टमाटर 100 से 150 रुपए किलो तक बिके.
नॉर्दन स्पाइसेज ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रवींद्र कुमार अग्रवाल ने जीरे के प्राइस में आई बढ़ोत्तरी के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि मार्च में जीरे की फसल आती है. उस समय जीरे का भाव 300 रुपए किलो था. कुछ दिनों बाद रेट गिरकर 280 रुपए प्रतिकिलो भी हो गया था, मगर बेमौसम बारिश की मार मार्केट पर पड़ी. बरसात में किसी भी वस्तु की सप्लाई कम हो जाती है. इसका लाभ स्टॉकर्स ने उठाया. उन्होंने जीरे को गोदाम में भरना शुरू कर दिया. रवींद्र ने बताया कि जो जीरा मार्च में 280 रुपए किलो मिल रहा था, वह अप्रैल में 460 रुपए किलो तक पहुंच गया.
एक्सपोर्ट और बरसात से बिगड़ा बाजार: मसालों के होलसेल कारोबारी रवींद्र अग्रवाल ने बताया कि पैदावार कम होने के बावजूद सरकार ने जीरे के एक्सपोर्ट पर अंकुश नहीं लगाया. इससे मई के अंत तक जीरे का प्राइस 550 रुपये किलो तक पहुंच गया. धीरे-धीरे जीरे की कीमतों में इजाफा हुआ और रेट 600 रुपये किलो तक पहुंच गया. इसके बाद मार्केट में जीरे के भाव लेकर हाहाकार मच गया. इस समय थोक मार्केट में जीरे का प्राइस 640 से 650 रुपये किलो चल रहा है.
जीरे के उत्पादन में कमी: सरकारी आंकड़ों की माने तो जीरे की पैदावार में कमी आई है. 2020-21 में जीरे का उत्पादन 4 लाख 50 हजार से 4 लाख 75 हजार टन रहने का अनुमान जताया. पिछले साल के मुकाबले मौजूदा समय में जीरे की उपज 20 प्रतिशत कम रही. 2021-22 में जीरे की पैदावार 35 प्रतिशत गिरकर 3 लाख टन हो गई. जानकार कहते हैं कि फरवरी-मार्च में राजस्थान और गुजरात में बेमौसम बारिश हुई. आंधी और ओले गिरने से फसल को नुकसान हुआ. तापमान में उतार-चढ़ाव आने से क्रॉप कमजोर हो गई. इस बार जीरे का कैरीओवर स्टॉक 50 से 60 हजार टन रह गया, ये पिछले 3 साल में सबसे कम है. यही वजह रही कि जीरे की सप्लाई में दबाव पड़ा.
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