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दिल्ली सर्विस बिल का सीटीआई ने किया विरोध, कहा- ट्रेड, इंडस्ट्री और व्यापारियों के लिए खतरनाक - दिल्ली सर्विस बिल

व्यापारिक संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने दिल्ली सर्विस बिल को लेकर चिंता जाहिर की है. संस्था का कहना है कि इस बिल के संसद से पास होने से दिल्ली में ट्रेड, इंडस्ट्री और बाजारों के विकास कार्य बाधित हो सकता है.

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Published : Aug 7, 2023, 3:14 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा से पारित हो गया है, अब राज्यसभा में बिल को पारित होना है. इसको लेकर व्यापारिक संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने चिंता जताई है और केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस को दिल्ली के ट्रेड, इंडस्ट्री और व्यापारियों के लिए खतरनाक बताया है.

CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि यदि दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया, तो दिल्ली में ट्रेड, इंडस्ट्री और बाजारों के विकास कार्य बाधित होने की आशंका है. राज्य के अधिकारी चुनी हुई सरकार के बजाए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के दिशा-निर्देशों पर काम करेंगे. दिल्ली सरकार ने पांच बाजारों का सौंदर्यीकरण, शॉपिंग फेस्टिवल, गांधी नगर के होलसेल रेडिमेड बाजार का रीडेवलपमेंट, नॉन कन्फर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया के विकास का खाका बना रखा है, ये कार्य लटक सकते हैं.

ये भी पढ़ें: टैक्स से जुड़े मामलों में ED का सीधा दखल चिंताजनक - CTI


इसको लेकर पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विभाग के अधिकारियों के साथ अनेकों मीटिंग की थी. दिल्ली सरकार चाहती है कि ये विकास कार्य जल्द से जल्द पूरे हों जिससे कि दिल्ली के बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों का कायाकल्प हो सके. मगर केंद्र सरकार का ऑर्डिनेंस अगर कानून बन गया तो अधिकारियों की मनमानी बढ़ जाएगी, बल्कि छोटे से छोटे काम के लिए भी एलजी से मंजूरी लेनी होगी. संभव है कि अधिकारी भी दिल्ली सरकार की न सुनें.

CTI के महासचिव विष्णु भार्गव और उपाध्यक्ष गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि पांच बाजारों के पुनर्विकास के लिए 100 करोड़ रुपये, गांधी नगर मार्केट के रीडेवलेपमेंट के लिए 100 करोड़ रुपये, शॉपिंग फेस्टिवल के लिए 200 करोड़ रुपये और दिल्ली बाजार पोर्टल के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना थी. ऐसा ना हो कि कानून बनने के बाद इन प्रोजेक्ट्स में देरी हो. चुनी हुई दिल्ली सरकार को अपने हिसाब से फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए.

ये भी पढ़ें: होटल और रेस्टोरेंट में ग्राहकों से धड़ल्ले से वसूला जा रहा सर्विस चार्ज, CTI ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा पत्र

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा से पारित हो गया है, अब राज्यसभा में बिल को पारित होना है. इसको लेकर व्यापारिक संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने चिंता जताई है और केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस को दिल्ली के ट्रेड, इंडस्ट्री और व्यापारियों के लिए खतरनाक बताया है.

CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि यदि दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया, तो दिल्ली में ट्रेड, इंडस्ट्री और बाजारों के विकास कार्य बाधित होने की आशंका है. राज्य के अधिकारी चुनी हुई सरकार के बजाए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के दिशा-निर्देशों पर काम करेंगे. दिल्ली सरकार ने पांच बाजारों का सौंदर्यीकरण, शॉपिंग फेस्टिवल, गांधी नगर के होलसेल रेडिमेड बाजार का रीडेवलपमेंट, नॉन कन्फर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया के विकास का खाका बना रखा है, ये कार्य लटक सकते हैं.

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इसको लेकर पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विभाग के अधिकारियों के साथ अनेकों मीटिंग की थी. दिल्ली सरकार चाहती है कि ये विकास कार्य जल्द से जल्द पूरे हों जिससे कि दिल्ली के बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों का कायाकल्प हो सके. मगर केंद्र सरकार का ऑर्डिनेंस अगर कानून बन गया तो अधिकारियों की मनमानी बढ़ जाएगी, बल्कि छोटे से छोटे काम के लिए भी एलजी से मंजूरी लेनी होगी. संभव है कि अधिकारी भी दिल्ली सरकार की न सुनें.

CTI के महासचिव विष्णु भार्गव और उपाध्यक्ष गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि पांच बाजारों के पुनर्विकास के लिए 100 करोड़ रुपये, गांधी नगर मार्केट के रीडेवलेपमेंट के लिए 100 करोड़ रुपये, शॉपिंग फेस्टिवल के लिए 200 करोड़ रुपये और दिल्ली बाजार पोर्टल के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना थी. ऐसा ना हो कि कानून बनने के बाद इन प्रोजेक्ट्स में देरी हो. चुनी हुई दिल्ली सरकार को अपने हिसाब से फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए.

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