नई दिल्ली: राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में चल रहे 'जश्न-ए-रेख्ता' के 8वें संस्करण का रविवार को अंतिम दिन है. इस बार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेख्ता फाउंडेशन ने जश्न में आने वाले लोगों के लिए एंट्री फीस भी रखी है. इसके बाद भी संगीत और उर्दू के शौकीनों का भारी जमावड़ा रेख्ता में नज़र आ रहा है. यहां देशभर के उर्दू और हिन्दी जुबान के मशहूर शायर और लेखक जुटे हैं. जो अपने तरीके से अपनी भाषाओं और बोलियों का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
दिल्ली समेत देशभर के लिखने-पढ़ने वाले जश्न-ए-रेख्ता के प्रोग्राम में पहुंच रहे हैं. जश्न-ए-रेख्ता में अपने पसंदीदा शायर को सुनने आये सूर्य ने बताया कि वह कई वर्षों से जश्न में आते हैं. इस बार मुझे यहाँ आने से पहले लगा था कि काफी कम भीड़ होगी, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. बड़ी संख्या में लोग अपने पसंद के कलाकारों को देखने और सुनने आ रहे हैं.
लोग अपने पसंद के आर्टिस्ट को लाइव देखना चाहते हैं. इसके लिए जश्न-ए-रेख्ता एक बेहतरीन प्लेटफार्म है.जश्न में संगीत की धुन पर झूमती डॉ. राखी त्रिपाठी ने बताया कि वह बीते 8 वर्षों से जश्न-ए-रेख्ता का ऑनलाइन प्रसारण फॉलो करती है. लेकिन 2 वर्षों से वह लाइव भी देखने आ रही हैं उनको जश्न में आकर बहुत अच्छा लगता है. इस बार उनके साथ भाई, पिता और बेटा जश्न का आनंद उठाने आये हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. हसीब अहमद ने बताया कि वह जश्न-ए-रेख्ता के शुरूआती वर्ष से लेकर अभी तक हर बार आये हैं. उनको यहां आकर बहुत अच्छा लगता है. जश्न में घूमते घूमते सुबह से शाम हो जाती हैं लेकिन बिलकुल भी थकावट नहीं होती है .उलटा एक पॉजिटिव एनर्जी के साथ घर वापस जाते हैं. यहां रूह और दिमाग दोनों को तसल्ली के लिए संगीत चलाते हैं तो दिमाग की संतुष्टि के लिए कई मुद्दों पर विचार विमर्श होते हैं. इनको सुनने और देखने में काफी आनंद आता है.
ये भी पढ़ें :अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में नृत्य नाटक का अयोजन, विश्व को दिया सद्भावना का संदेश