नई दिल्ली: आज अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है. इसको मनाने का कारण बुजुर्गों को मान व सम्मान दिलाना है. हालांकि, बुजुर्गों की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है. दिल्ली की बात करें, तो रोजाना तीन बुजुर्ग अपराध का शिकार बनते हैं. यह अपराध केवल बाहर नहीं बल्कि घर के भीतर भी होते हैं. यह खुलासा NCRB द्वारा जारी किए गए डाटा से हुआ है. वर्ष 2020 में दिल्ली में 919 बुजुर्गों को अपराध का शिकार बनाया गया है. उनके प्रति होने वाले अपराध में कुछ कमी आई है लेकिन यह नाकाफी है. हैरानी की बात यह है कि बुजुर्ग महिलाएं दुष्कर्म और छेड़छाड़ का भी शिकार हो रही हैं.
NCRB द्वारा जारी किए गए डाटा में बताया गया है कि वर्ष 2018 में 780 बुजुर्ग अपराध का शिकार बने थे. वर्ष 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 1076 हो गया था, वहीं वर्ष 2020 में 919 पर आ गया. वर्ष 2020 में बुजुर्गों के साथ अपराध में जो कमी देखने को मिली है, इसकी सबसे बड़ी वजह कोविड या लॉकडाउन रहा है. बुजुर्गों के साथ सबसे ज्यादा वारदात चोरी की हुई है. इसके अलावा बड़ी संख्या में फ्रॉड और ठगी का शिकार भी उन्हें बनाया गया है. बीते वर्ष दिल्ली में सात बुजुर्गों की हत्या हुई जबकि 2 बुजुर्ग गैर इरादतन हत्या का शिकार बने. सबसे हैरानी वाली बात पांच बुजुर्गों के साथ दुष्कर्म की घटना जबकि 8 बुजुर्गों के साथ हुई छेड़छाड़ है.
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दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि दिल्ली में बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए सीनियर सिटीजन सेल बने हुए हैं. थाने के पुलिसकर्मियों के पास ऐसे बुजुर्गों की सूची होती है, जो अकेले रहते हैं. ऐसे बुजुर्गों से पुलिसकर्मी आये दिन संपर्क करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान भी करते हैं. लेकिन इसके बावजूद बुजुर्ग वारदात का शिकार हो रहे हैं.
ऐसा देखने में आता है कि कमजोर होने के चलते बुजुर्ग बदमाशों का अधिक विरोध नहीं कर पाते. इसलिए वह उनके लिए एक आसान टारगेट होते हैं. दिल्ली की सड़कों पर आए दिन बुजुर्गों से झपटमारी, लूट या ठगी की घटनाएं हो जाती हैं. ऐसी वारदातों को रोकने के लिए पुलिस को उनके बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है.
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पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि बुजुर्गों के पास आमतौर पर उनकी पेंशन होती है या बच्चों से मिलने वाला खर्च होता है. ऐसे में जालसाज उन्हें फ्रॉड का शिकार बनाने से नहीं चूकते. कभी इंश्योरेंस के नाम पर झांसा देकर उनके साथ ठगी की जाती है तो कभी बैंक अधिकारी बनकर जालसाज उनसे ओटीपी ले लेते हैं.
ऐसे ठग रोजाना सैकड़ों लोगों को कॉल करते हैं. अधिकांश लोग इनके झांसे में नहीं आते लेकिन कुछ बुजुर्ग फंस जाते हैं. ऐसे बुजुर्गों के बैंक खाते को यह बदमाश खाली कर देते हैं. ऐसा भी देखने में आता है कि लालच में आकर कई बार घरेलू नौकर भी बुजुर्ग को निशाना बना लेते हैं.
उन्होंने बताया कि बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए उनके प्रति ज्यादा संवेदनशील होकर काम करने की आवश्यकता है. सीनियर सिटीजन सेल के अलावा भी थाने के पुलिसकर्मियों एवं खासतौर से एसएचओ को बुजुर्गों से मिलना चाहिए. इससे उनके बीच आत्मविश्वास एवं सुरक्षा की भावना बढ़ेगी. इसके अलावा अगर कोई बुजुर्ग अपराध का शिकार हो जाता है तो उस केस को प्रमुखता से लेना चाहिए. उन्हें लगातार जागरूक करना होगा ताकि अभी होने वाले ऑनलाइन एवं साइबर अपराधों से वह सुरक्षित रह सकें.