नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट पर दिल्ली सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है.
इस मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि चार्जशीट पर अनुमति देने के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है. तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है कि वे बताएं कि अनुमति मिली है कि नहीं. कोर्ट ने 18 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
फैसला कोर्ट को बताने का निर्देश
पिछले 8 अप्रैल को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फैसला लेने लिए आज तक का समय दिया था. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो 23 जुलाई तक केस चलाने के लिए अनुमति देने के मामले पर फैसला कर कोर्ट को बताएं.
एक महीने में फैसला
पिछले 5 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जल्दबाजी में और गोपनीय तरीके से चार्जशीट दाखिल किया था. दिल्ली सरकार ने कहा था कि वे एक महीने में इस संबंध में फैसला कर लेंगे.
बताएं कि क्या फैसला लेंगे
पिछले 3 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में अनुमति देने के मामले पर फैसला लेने में एक महीने का वक्त लग सकता है. तब चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे यह बताएं कि आखिर कब तक इस मामले पर आप फैसला कर लेंगे.
डीसीपी कोर्ट में हुए थे पेश
पिछले 30 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होंने कहा था कि इस मामले में केस चलाने के लिए अनुमति देना एक प्रशासनिक कार्य है और ये दिल्ली सरकार के पास लंबित है. तब चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने कहा था कि आपका काम खत्म हो गया, हम दिल्ली सरकार से पूछेंगे कि देर क्यों हो रही है.
कोर्ट ने जताई नाराजगी
29 मार्च को स्पेशल सेल के डीसीपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे, जिससे कोर्ट नाराज हो गई थी और उन्हें 30 मार्च को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया. पिछले 11 मार्च को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि केस चलाने के लिए जरूरी अनुमति मिलने में दो-तीन महीने का समय लग सकता है.
इस पर कोर्ट नाराज हो गई और कहा कि बिना अनुमति मिले चार्जशीट दाखिल करने की क्या हड़बड़ी थी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी से केस का अपडेट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
चार्जशीट पढ़ने के लिए मांगा समय
11 मार्च को दिल्ली पुलिस के वकील ने बताया था कि इस मामले के जांच अधिकारी उपस्थित नहीं हैं क्योंकि वो हादसे के शिकार हो गए हैं. कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली सरकार ने चार्जशीट को पढ़ने के लिए दो-तीन महीने का समय मांगा है. पिछले 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि दिल्ली सरकार ने अब तक केस चलाने की अनुमति नहीं दी है. तब कोर्ट ने कहा था कि हम वीडियो देखेंगे और अगर सरकार अनुमति नहीं देगी, तो भी हम सबूत का वीडियो देखकर कार्रवाई करेंगे.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई थी फटकार
पिछले 6 फरवरी को ने कोर्ट दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि अभी चार्जशीट के लिए जरूरी मंजूरी दिल्ली सरकार से नहीं मिली है. कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दायर करने से पहले अनुमति ले लेनी चाहिए थी. अब दिल्ली सरकार से कहिए वो जल्द मंजूरी दे. अनिश्चित समय तक ऐसे फाइल को लटकाया नहीं जा सकता.
पिछले 19 जनवरी को भी कोर्ट ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि बिना सरकार की अनुमति के कैसे चार्जशीट दाखिल कर दी गई.
आपको बता दें कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू केपस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल ये तीनों जमानत पर हैं.