नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के 14 साल से अधिक समय के बाद वेश्यावृत्ति करने के आरोप से दो महिलाओं को मुक्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न केवल साक्ष्यों की कमी थी बल्कि पुलिस द्वारा बताई गई कहानी में भी कई लूपहोल्स थे. अदालत आरोपी महिलाएं अफसाना और सीमा के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिन पर अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 8 के तहत वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था. (Court acquits two women of prostitution charge)
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 16 अक्टूबर, 2008 को शाहदरा के न्यू उस्मानपुर इलाके में जगजीत नगर इलाके में एक घर पर वेश्यावृत्ति रैकेट के बारे में एक गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा गया था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा की गई शिकायत में कई लूपहोल्स है. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रूपिंदर सिंह धीमान ने पिछले सप्ताह पारित एक आदेश में कहा अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम अपने आप में वेश्यावृत्ति को अवैध नहीं बनाता है, लेकिन अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों में किसी भी परिसर को वेश्यालय के रूप में रखना और उसका उपयोग करना, वेश्यावृत्ति से अर्जित आय पर रहना, दलाली करना, याचना करना, किसी व्यक्ति को बहकाना शामिल है.
इस मामले में एक हेड कॉन्स्टेबल की गवाही को भी कोर्ट ने ध्यान में रखा और कहा कि एक कॉन्स्टेबल ने किसी प्रकार के आग्रह का जिक्र नहीं किया. हालांकि उसने अश्लील इशारों का जिक्र जरूर किया, लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हो पाई है. कोर्ट ने कहा इस प्रकार के आरोप और तथ्य प्रमाणित रहते हैं. ऐसे में दोनों महिलाओं को आरोप मुक्त किया जाता है.