नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है, उसने सबकी चिंता बढ़ा रखी है. किसी भी प्रकार के अपराध में कोरोना को लेकर सावधानियां बरती जा रही हैं. ऐसे में राजधानी में होने वाले दुष्कर्म के मामलों में मेडिकल के दौरान न केवल आरोपी बल्कि पीड़िता की भी कोरोना जांच की जा रही है. आरोपी को जहां जांच के बाद जेल भेजा जाता है तो वहीं पीड़िता को रिपोर्ट आने तक आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार दुष्कर्म के मामले में पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज करवाना अनिवार्य है. यह बयान खुद मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाता है. ऐसे में अगर पीड़िता कोरोना से संक्रमित हुई तो जांच अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. इसलिए बयान दर्ज कराने से पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि पीड़िता को कोरोना नहीं है. कई मामलों में दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता को नारी निकेतन या किसी अन्य संस्था में रखा जाता है. ऐसे में अगर वह कोरोना से संक्रमित होगी तो संस्था में रहने वाले अन्य लोग भी संक्रमित हो सकते हैं. यही वजह है कि अब आरोपी के साथ पीड़िता की भी कोरोना जांच करवाई जा रही है.
कोरोना संक्रमित से हुआ था दुष्कर्म
बीते अप्रैल माह में नबी करीम में रहने वाली एक दुष्कर्म पीड़िता की जब जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित थी. इस मामले में आरोपी को जेल भेजा जा चुका था. इसलिए वहां उसकी कोरोना जांच की गई थी. हालांकि उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. लेकिन इस मामले के बाद यह तय किया गया कि दुष्कर्म के मामले में आरोपी और पीड़िता की कोरोना जांच अवश्य करवाई जाएगी.