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Teacher's Day: 'कोरोना ने बदल दिया पढ़ाने का तरीका, टेक्निकली खुद को मजबूत कर पढ़ाई साइंस'

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Published : Sep 5, 2021, 10:04 AM IST

शिक्षक प्रदीप कुमार दहिया ने बताया कि कोरोना के शुरुआती दिनों में काफी परेशानी हुई. हम सभी परेशान हो रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई किस तरीके से अब जारी रखी जा सकती है, लेकिन इस दौरान ऑनलाइन बच्चों की पढ़ाई का तरीका निकाला गया. पर यह नहीं समझ आ रहा था कि बच्चों को साइंस किस तरह से पढ़ाई जाए क्योंकि बिना प्रैक्टिकल के साइंस पढ़ाना मुमकिन नहीं होता.

कोरोना ने बदल दिया पढ़ाने का तरीका
कोरोना ने बदल दिया पढ़ाने का तरीका

नई दिल्ली: कोविड-19 में पढ़ने-पढ़ाने का तरीका बदल गया. छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो. इसको लेकर शिक्षकों ने खुद को तकनीकी रूप से सशक्त किया. समाज को जब जरूरत पड़ी तो दायित्व को भी निभाने के लिए उतर पड़े. यह कहना है कौटिल्य सर्वोदय बाल विद्यालय में बतौर साइंस के शिक्षक कार्यरत प्रदीप कुमार दहिया का. उन्होंने बताया कि कोविड-19 का यह दौर काफी चुनौतीपूर्ण रहा है.


शिक्षक प्रदीप कुमार दहिया ने कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में काफी परेशानी हुई. हम सभी परेशान हो रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई किस तरीके से अब जारी रखी जा सकती है, लेकिन इस दौरान ऑनलाइन बच्चों की पढ़ाई का तरीका निकाला गया. पर यह नहीं समझ आ रहा था कि बच्चों को साइंस किस तरह से पढ़ाई जाए क्योंकि बिना प्रैक्टिकल के साइंस पढ़ाना मुमकिन नहीं होता.

कोरोना ने बदल दिया पढ़ाने का तरीका

ये भी पढ़ें- Teacher's Day: स्कूल से लेकर कॉलेज तक के शिक्षकों ने कोरोना में गंवाई जान

उन्होंने बताया कि बच्चों को साइंस पढ़ाने के लिए घर में पड़े उपकरण का सहारा लेना शुरू किया. इसके बाद जब स्थिति सुधरने लगी स्कूल आकर लेबोरेटरी में वीडियो बनाया और उन वीडियो को बच्चों को भेजकर पढ़ाया जिससे कि उन्हें साइंस सही से समझआए. इस दौरान उन्होंने कहा कि इसका असर बच्चों के रिजल्ट पर भी दिखा और 100 प्रतिशत रिजल्ट रहा है.

ये भी पढ़ें- Teachers’ Day 2021 : जानिए क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, क्या है इसके पीछे इतिहास


इस दौरान उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस समय में बच्चों से निरंतर सभी बात करते रहे हैं क्योंकि हर कोई तनाव में था और यह हम सभी की जिम्मेदारी दी थी कि कोई भी बच्चा या परिवार का सदस्य किसी परेशानी में ना हो. इस बात का हम सभी ने पूरा ख्याल रखा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिसे जिस भी प्रकार की जरूरत हुई सभी ने उसे पूरी करने की कोशिश की है. साथ ही कहा कि कोविड-19 की ड्यूटी भी शिक्षकों ने निभाई है.

नई दिल्ली: कोविड-19 में पढ़ने-पढ़ाने का तरीका बदल गया. छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो. इसको लेकर शिक्षकों ने खुद को तकनीकी रूप से सशक्त किया. समाज को जब जरूरत पड़ी तो दायित्व को भी निभाने के लिए उतर पड़े. यह कहना है कौटिल्य सर्वोदय बाल विद्यालय में बतौर साइंस के शिक्षक कार्यरत प्रदीप कुमार दहिया का. उन्होंने बताया कि कोविड-19 का यह दौर काफी चुनौतीपूर्ण रहा है.


शिक्षक प्रदीप कुमार दहिया ने कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में काफी परेशानी हुई. हम सभी परेशान हो रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई किस तरीके से अब जारी रखी जा सकती है, लेकिन इस दौरान ऑनलाइन बच्चों की पढ़ाई का तरीका निकाला गया. पर यह नहीं समझ आ रहा था कि बच्चों को साइंस किस तरह से पढ़ाई जाए क्योंकि बिना प्रैक्टिकल के साइंस पढ़ाना मुमकिन नहीं होता.

कोरोना ने बदल दिया पढ़ाने का तरीका

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उन्होंने बताया कि बच्चों को साइंस पढ़ाने के लिए घर में पड़े उपकरण का सहारा लेना शुरू किया. इसके बाद जब स्थिति सुधरने लगी स्कूल आकर लेबोरेटरी में वीडियो बनाया और उन वीडियो को बच्चों को भेजकर पढ़ाया जिससे कि उन्हें साइंस सही से समझआए. इस दौरान उन्होंने कहा कि इसका असर बच्चों के रिजल्ट पर भी दिखा और 100 प्रतिशत रिजल्ट रहा है.

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इस दौरान उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस समय में बच्चों से निरंतर सभी बात करते रहे हैं क्योंकि हर कोई तनाव में था और यह हम सभी की जिम्मेदारी दी थी कि कोई भी बच्चा या परिवार का सदस्य किसी परेशानी में ना हो. इस बात का हम सभी ने पूरा ख्याल रखा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिसे जिस भी प्रकार की जरूरत हुई सभी ने उसे पूरी करने की कोशिश की है. साथ ही कहा कि कोविड-19 की ड्यूटी भी शिक्षकों ने निभाई है.

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