नई दिल्ली/नोएडा: दनकौर थाना क्षेत्र अंतर्गत 2013 के एक हत्या मामले में जिला न्यायालय ने दो दोषियों को सजा सुनाई. अपर सत्र विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी ज्योत्सना सिंह ने भरती सिंह की हत्या मामले में आरोपी जीते व लीलू उर्फ लीले को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोनों दोषियों पर 9 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
2013 में भरती सिंह की गई थी हत्या: विशेष लोक अभियोजक श्याम सिंह चौधरी ने बताया कि दनकौर थाना क्षेत्र अंतर्गत 12 अप्रैल 2013 को भरती सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी. उस मामले में पुलिस ने आरोपी जीते, लीलू उर्फ लीले व नौशाद के खिलाफ हत्या व एससी/एसटी का मामला दर्ज किया था. दनकौर पुलिस को मृतक भरती सिंह के बेटे अंकुश कुमार ने शिकायत दी कि 12 अप्रैल 2013 को वह परिवार के साथ पप्पू के खेत में गेहूं की कटाई कर रहे थे. तभी वहां पर दलेलगढ़ निवासी जीते पहुंचा. वह अपने खेत पर गेहूं की कटाई करने के लिए लेबर तय कराने को लेकर उसके पिता भरती सिंह को अपने साथ ले गया.
गोली मारकर की गई थी हत्या: जब शाम तक भरती सिंह घर नहीं लौटे तो, उनकी तलाश शुरू की गई. अगले दिन 13 अप्रैल 2013 को दनकौर सिकंदराबाद रोड पर बिलासपुर से दनकौर की तरफ सड़क किनारे भरती सिंह की लाश मिली. जिसकी गोली मारकर हत्या की गई थी. दनकौर पुलिस ने पीड़ित की शिकायत के आधार पर हत्या का मामला दर्ज किया और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट जिला न्यायालय सूरजपुर में पेश की. जिला न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान नौ गवाह पेश किए गए.
जुर्माना राशि न देने पर भुगतनी होगी अतिरिक्त सजा: जिला न्यायालय में अपर सत्र विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी ज्योत्सना सिंह ने सभी गवाहों, सबूतों और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की जिरह के बाद आरोपी जीते और लीलू उर्फ लीले को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने दोनों दोषियों पर ₹9000 का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, जुर्माने की राशि जमा न करने पर 15 दिन अतिरिक्त कारावास की सजा भी भुगतनी होगी. वहीं जेल में बिताई गई अवधि इस सजा में समायोजित की जाएगी. साथ ही तीसरे आरोपी नौशाद की जिला न्यायालय में सुनवाई के दौरान पहले ही मौत हो गई थी.
रंजिश के कारण हुई थी हत्या: पीड़ित परिवार ने अदालत में बताया कि घटना से लगभग एक वर्ष पहले भरती सिंह के बेटे की पत्नी को लीलू उर्फ लीले व नौशाद भगाकर ले गए थे. जिसके 6 से 7 महीने के बाद भरती सिंह के बेटे की पत्नी वापस घर आ गई थी, लेकिन उसके बाद भी लीलू व नौशाद उससे अक्सर घर पर मिलने आते थे. जिसका मृतक भरती सिंह विरोध करते थे. इसी बात को लेकर दोषी उससे रंजिश मानते थे. जिसके चलते उन्होंने भरती सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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