नई दिल्ली: भारत का पर्यटन उद्योग पहले से ही रूस-यूक्रेन युद्ध की मार झेल रहा है. खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर कनाडा के साथ बिगड़े रिश्ते ने भी मुश्किलें बढ़ा दी थी. और अब इजराइल-हमास युद्ध के कारण देश के पर्यटन क्षेत्र को नुकसान झेलना पड़ रहा है. क्योंकि यह पर्यटन का मौसम है और पर्यटन मंत्रालय के एक रिपोर्ट के अनुसार इजराइल से प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक भारत आते हैं. कनाडा रूस और यूक्रेन से आने वाले पर्यटकों की संख्या भी लाखों में हैं. युद्ध के वजह से भारत का पर्यटन क्षेत्र भी इसका नुकसान झेल रहा है.
इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स कमिटी के चेयरमैन और स्टिक ट्रेवल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सुभाष गोयल ने खास बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना काल में पर्यटन उद्योग जमीन पर आ गया था. कुछ वर्षों में उठने की अच्छी उम्मीद थी. लेकिन युद्ध और विवादों ने इस उम्मीदों को धक्का पहुंचाया है.
सवाल: यदि दो देशों में लड़ाई होती है, तो पर्यटन क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जवाब : ट्रेवल और टूरिज्म एक ऐसी इंडस्ट्री है, जो विदेश में होने वाले तनाव की स्थिति में सबसे पहले प्रभावित होती है. हर किसी के लिए सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. जैसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ, फिर कनाडा को भारत के बीच बनी तनाव की स्थिति और अब हमास - इजराइल युद्ध. यह पीक समय है, जब टूरिज्म का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. कनाडा की बात करें तो इस बार हज़ारों पर्यटकों को भारत आना था. लेकिन भारत सरकार ने कनाडा के वीजा पर रोक लगा दी. इससे होटल्स और टूरिज्म को काफी क्षति पहुंची.
सवाल : हमास-इजराइल से ट्रेवल और टूरिज्म की स्थिति कैसी है ?
जवाब: हमास-इजराइल में जारी युद्ध भारत के टूरिज्म के लिए सर मुंडाते ही ओले पड़ने जैसी है. अभी कनाडा और यूक्रेन की स्थिति से हम उभर ही रहे थे कि इजराइल और फिलिस्तीन की लड़ाई शुरू हो गयी. हमास के आक्रमण के बाद काफी हद तक हवाई यातायात बंद हो गया. इजराइल जाने वाली एयर इंडिया की सभी फ्लाइट्स को बंद कर दिया गया. एयर इंडिया का क्रू भी वहीं फंस गया था. फ़िलहाल इथोपियन एयरलाइन जारी है. इससे एयर इंडिया के क्रू को भारत वापस लाया गया. इस वक्त इंटरनेशनल टूरिज्म सबसे ज्यादा घाटे में चल रहा है.
सवाल: क्या G20 शिखर सम्मलेन ने ट्रेवल और टूरिज़म को संभलने का काम किया?
जवाब: G20 शिखर सम्मेलन से भारत की पहचान में न केवल चार चाँद लगे बल्कि ट्रेवल और टूरिज्म में काफी इजाफा हुआ. इसके बाद विदेशों से पर्यटक दिल्ली आना चाह रहे हैं. लेकिन अभी जो स्थिति है ऐसे में हर किसी को इस बात का डर है कि युद्ध कभी भी बढ़ सकता है. इसलिए हर आदमी अपने घर में ही रहना चाह रहा है.
सवाल: युद्ध में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए निजी टूरिज्म कंपनियों का कितना योगदान होता है?
जवाब: अगर यूक्रेन वॉर की बात करें तो हमारे पास यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइन्स की एजेंसी थी. उस समय लगभग 25-30 चार्टर प्लेन की मदद से लोगों को देश वापस लाया गया. ऐसा तब तक किया गया, जब तक भारत सरकार ने जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली. युद्ध के समय यूक्रेन में लगभग 20,000 भारतीय मुल्क के बच्चे वहां पढ़ रहे थे, जिसमें से लगभग 10,000 बच्चों को हमारी एजेंसी सुरक्षित वतन वापस लाई थी. वहीं अब इजराइल में वॉर जारी है तो हमारी एजेंसी इथोपियन एयरलाइन्स के संग लगातार काम कर रहीं है. अभी तक वहां से बच्चों, एयरलाइन्स के क्रू और काफी लोगों को सुरक्षित देश वापिस लाया गया है.
सवाल: आपको क्या लगता है कि भारत युद्ध की स्थिति को सामान्य कर सकता है?
जवाब: बिलकुल, देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस परिस्थिति को कुछ हद तक सामान्य कर सकते हैं. वर्तमान में वह एक ऐसे लीडर हैं जिनकी बात रशिया, अमेरिका, अरब वर्ल्ड और इज़राइल भी मानता है. जहां शांति होगी वहीं टूरिज्म होगा. मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो दुनिया में शांति ला सकते हैं. वहीं, इस युद्ध की स्थिति को देखते हुए हमारी टूरिज्म इंडस्ट्री की यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द सब जगह शांति हो और टूरिज्म को बढ़ावा मिले.
सवाल: क्या विदेशों में जारी तनाव से डोमेस्टिक टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है?
जवाब: हां, विदेशों में जारी तनाव से डोमेस्टिक टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है. कोरोना महामारी के कारण लम्बे समय तक लोग अपने घरों में कैद रहे. लेकिन जैसी ही स्थिति सामान्य हुई और टूरिज्म खुला तो लोगों ने दिल खोल कर घूमना शुरू कर दिया. बीते एक दो वर्षों से पीक सीज़न के दौरान मेघायल, सिक्किम, नार्थ ईस्ट, आसाम में होटल्स पूरी तरह से पैक रहे. जम्मू कश्मीर ने भी टूरिज्म का रिकॉर्ड बनाया है. साथ ही जितने भी पहाड़ी पर्यटक स्थल हैं सभी जगह काफी संख्या में पर्यटक घूमने गए. इसी तरह गोवा, केरल, राजस्थान में डोमेस्टिक टूरिस्ट घूमने गए.
सवाल: अगर बात आती है डोमेस्टिक टूरिज़म की है, तो मौसमी छुट्टियों में पर्यटक कहाँ जाना ज्यादा पसंद करते हैं?
जवाब: मौसमी छुट्टियों में लोग खास कर पहाड़ी जगहों पर जाना पसंद करते हैं. लोगों की प्राथमिकता कश्मीर रहती है इसके बाद कुल्लू-मनाली, धर्मशाला. नैनीताल, मसूरी और शिमला है. इस बार सबसे ज्यादा नार्थ ईस्ट जाने की डिमांड है. दरअसल, नार्थ ईस्ट घूमने जाने के बेहतर कनेक्टिविटी के साथ सरकारी कर्मचरियों को अब LTC की सुविधा भी मिलती है. वहीं नार्थ के लोग जनता एलोरा, ओडिशा, गोवा, केरल घूमने जाते हैं.
सवाल: निजी फ्लाइट के बढ़ते किराए का डोमेस्टिक और इंटरनेशनल टूरिज्म पर कितना असर पड़ता है ?
जवाब: देखिये, मैं हमेशा से कहता आया हूँ कि एयर लाइन्स डिमांड और सप्लाई का हवाला देते हुए हर बार अपने किराये ने इजाफा करता है. यह ठीक नहीं है, मेरा मानना है कि अगर एयर फेयर की डायरेक्ट कनेक्टिविटी कॉस्ट A पॉइंट से B पॉइंट तक 4000 हज़ार रुपए है तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा 10000 रुपए से 15000 रुपए पर सीलिंग कर देनी चाहिए. मतलब कालाबाज़ारी को रोकना चाहिए.